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May 23, 2025 Vol 20

सीडीएससीओ ने जनसुनवाई कार्यक्रम में किया संशोधन, अब केवल दो घंटे ही मिलेगा समय

सीडीएससीओ ने जनसुनवाई कार्यक्रम में किया संशोधन, अब केवल दो घंटे ही मिलेगा समय

नई दिल्ली – केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने हितधारकों के साथ प्रत्यक्ष संवाद के लिए आयोजित होने वाले जनसुनवाई कार्यक्रम में महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है। नए कार्यक्रम के अनुसार, अब यह सुनवाई सप्ताह के प्रत्येक कार्यदिवस में शाम 4 बजे से 6 बजे तक, केवल दो घंटे के लिए ही आयोजित की जाएगी। यह कदम जनसंपर्क कार्यालय (पीआरओ) की कार्यक्षमता को केंद्रीकृत और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

सीडीएससीओ के अनुसार, यह बदलाव 2019, 2021 और 2022 में जारी किए गए पूर्व सार्वजनिक नोटिसों की तुलना में एक संरचनात्मक सुधार है, जिसमें प्रत्येक दिन को दो हिस्सों में बांटकर विभिन्न डिवीजनों को अलग-अलग समय आवंटित किया गया था। अब प्रत्येक दिन विशेष डिवीजनों को ही प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे संवाद अधिक लक्षित और कुशल हो सकेगा।

संशोधित कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:

  • सोमवार: केवल मेडिकल डिवाइस और इन विट्रो डायग्नोस्टिक (IVD) से संबंधित मामलों की सुनवाई।

  • मंगलवार: नई औषधियां, जांच संबंधी नई दवाएं (IND), एसएनडी और अंतरराष्ट्रीय प्रकोष्ठ

  • बुधवार: आयात और पंजीकरण, एफडीसी और लार्ज वॉल्यूम पैरेंटेरल (LVP)

  • गुरुवार: बायोलॉजिकल उत्पाद, ब्लड प्रोडक्ट्स, ब्लड सेंटर्स और आयुष

  • शुक्रवार: जैव उपलब्धता/समतुल्यता (BA/BE), आचार समिति, ग्लोबल क्लीनिकल ट्रायल (GCT), सीआरओ, सीडैक, आईटी सेल, पशु चिकित्सा और कॉस्मेटिक्स

पीआरओ की भूमिका और बढ़ती जिम्मेदारियाँ

पीआरओ का उद्देश्य एक सिंगल विंडो सिस्टम के तहत नवप्रवर्तकों और उद्योग से जुड़े हितधारकों को मार्गदर्शन देना, शिकायतों का समाधान करना और विनियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। यह परिवर्तन इंवेस्ट इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी राष्ट्रीय पहलों के अनुरूप है।

सीडीएससीओ ने हाल के वर्षों में डिजिटलीकरण पर भी जोर दिया है, जिससे आवेदन प्रक्रियाओं और मार्गदर्शन दस्तावेजों को ऑनलाइन उपलब्ध कराकर व्यापार सुगमता को प्रोत्साहित किया गया है। इसके साथ-साथ, संगठन की जिम्मेदारियों में भी वृद्धि हुई है, जिसमें अधिक चिकित्सा उपकरणों को नियंत्रण के दायरे में लाना शामिल है।

निष्कर्षतः, यह नया शेड्यूल न केवल संवाद की गुणवत्ता में सुधार लाएगा, बल्कि नवाचार और नियामक पारदर्शिता को भी गति देगा।

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