एससीडीए ने केंद्र से की दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने की मांग
नई दिल्ली: देश में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के बढ़ते चलन पर चिंता जताते हुए, साउथ केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन (SCDA) ने एक बार फिर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। एसोसिएशन ने मंत्रालय की सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव को पत्र लिखकर कहा कि ऑनलाइन दवा बिक्री सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है।
एससीडीए ने आरोप लगाया कि ज़ेप्टो, ब्लिंकिट और फोनपे जैसे क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म अब 1mg, नेटमेड्स, फार्मईजी, अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स पोर्टल्स की तर्ज पर बिना किसी कठोर निगरानी के दवाओं की होम डिलीवरी कर रहे हैं। इससे नशीली और प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाओं के दुरुपयोग का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।
एसोसिएशन ने बताया कि वह कई वर्षों से ऑनलाइन फार्मेसियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, जिसमें 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा इंटरनेट पर दवाएं बेचने वाली इकाइयों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश भी शामिल है। बावजूद इसके, ऑनलाइन फार्मेसियों का संचालन अब भी जारी है, जो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का उल्लंघन है।
एससीडीए ने चेतावनी दी कि इन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स द्वारा दवाओं को किराने के सामान की तरह डिलीवर किया जा रहा है, जिससे न केवल मरीजों की सुरक्षा से समझौता हो रहा है, बल्कि नकली और घटिया दवाओं के मामले भी बढ़ रहे हैं।
एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अवैध ऑनलाइन फार्मेसियों के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि दवाओं की बिक्री को पेशेवर पर्यवेक्षण, उचित भंडारण और वैध प्रिस्क्रिप्शन की कड़ी निगरानी के बिना जारी रखना एक गंभीर लापरवाही है।एससीडीए ने प्रधानमंत्री कार्यालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय, औषधि महानियंत्रक और दिल्ली सरकार समेत कई विभागों में लगातार अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। उन्होंने फार्मईजी के आईपीओ और फार्मालामा जैसे स्टार्टअप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की है।