उत्तराखंड में बनी 12 दवाएं फेल — देशभर में 112 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में नाकाम!
कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद सरकार सख्त, अब खुला दवा उद्योग का काला सच
देहरादून। देश में दवाओं की गुणवत्ता पर उठते सवालों के बीच केंद्र सरकार की ताज़ा रिपोर्ट ने स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। सितंबर महीने में देशभर से लिए गए 112 दवाओं के सैंपल क्वालिटी टेस्ट में फेल पाए गए हैं, जिनमें उत्तराखंड में बनी 12 दवाएं भी शामिल हैं। रिपोर्ट सामने आने के बाद दवा उद्योग में हड़कंप मच गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, इन दवाओं को मरीजों के इलाज के लिए बाजार में उतारा गया था, लेकिन प्रयोगशाला जांच में यह मानक गुणवत्ता (Standard Quality) पर खरी नहीं उतरीं। कई दवाओं में सक्रिय तत्वों की मात्रा या तो बहुत कम पाई गई या बिल्कुल नहीं मिली। इसका सीधा असर मरीजों के इलाज और स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
केंद्र सरकार की जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि 52 दवाओं के सैंपल्स की जांच सेंट्रल ड्रग्स लैब (CDL) ने की, जबकि 60 सैंपल्स राज्य स्तरीय प्रयोगशालाओं में फेल पाए गए। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तीन कफ सिरप भी जांच में फेल हुए, जिनमें से एक नकली (spurious) निकला है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा जारी सितंबर महीने की ड्रग अलर्ट रिपोर्ट के अनुसार, फेल हुई दवाओं में दिल, कैंसर, मधुमेह, हाई बीपी, दमा, संक्रमण, दर्द, सूजन, एनीमिया और मिर्गी जैसी गंभीर बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की दवाएं न केवल बेअसर होती हैं बल्कि लंबे समय तक सेवन करने पर जानलेवा साबित हो सकती हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में बनी 49 दवाएं, गुजरात की 16, और उत्तराखंड की 12 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल हुई हैं। बाकी सैंपल देश के अन्य राज्यों से हैं। इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्य औषधि नियंत्रकों को निर्देश जारी किए हैं कि फेल दवाओं की बिक्री तत्काल बंद कराई जाए और उनका स्टॉक जब्त किया जाए।
उत्तराखंड में चिंता बढ़ी
राज्य औषधि नियंत्रण विभाग ने 12 असफल दवाओं की सूची संबंधित जिलों को भेज दी है। विभाग ने दवा निर्माण इकाइयों से जवाब मांगा है और कहा है कि यदि दोष साबित हुआ तो उनके लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में नकली दवा का पर्दाफाश
इधर, छत्तीसगढ़ में जांच टीम ने एक ऐसी दवा पकड़ी है जो पूरी तरह नकली निकली। इसे असली लेबल लगाकर बाजार में बेचा जा रहा था। अधिकारियों के अनुसार, यह अपराध ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत दंडनीय है, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
विशेषज्ञों की राय
दवा विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिपोर्ट देश की दवा निगरानी व्यवस्था के लिए चेतावनी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. आर. के. शर्मा के अनुसार, “अगर दवाओं की गुणवत्ता पर लगातार निगरानी नहीं रखी गई तो आने वाले समय में यह सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट में बदल सकता है।”
सरकार की सख्त चेतावनी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि किसी भी कंपनी द्वारा घटिया क्वालिटी की दवा बनाने या बेचने पर सख्त कार्रवाई होगी। दोषी कंपनियों पर लाइसेंस रद्दीकरण, आर्थिक दंड और आपराधिक मुकदमे चलाए जा सकते हैं।
संक्षेप में:
- सितंबर में 112 दवाएं फेल, जिनमें 12 उत्तराखंड की।
- 3 कफ सिरप फेल, 1 नकली पाया गया।
- दवा उद्योग में मचा हड़कंप, सरकार ने बिक्री रोकने के आदेश दिए।
- दोषी कंपनियों पर कार्रवाई की तैयारी।



