नकली दवाओं के खिलाफ़ तेलंगाना की कार्रवाई बनी मिसाल, देशभर में ड्रग इंस्पेक्टरों को मिले अधिकारों के इस्तेमाल की उठी मांग
तेलंगाना में हाल ही में दो थोक दवा विक्रेताओं की गिरफ्तारी के बाद पूरे देश में नकली और जाली दवाओं के खिलाफ़ सख्ती की मांग तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा ड्रग इंस्पेक्टरों को गिरफ्तारी का अधिकार देने के फैसले के बाद यह पहली बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। इस ऐतिहासिक कदम के बाद अब देशभर के ड्रग रेगुलेटरी अधिकारी मांग कर रहे हैं कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27(सी) के तहत सख्त कार्रवाई को व्यवहार में लाने के लिए उन्हें पर्याप्त स्टाफ, पुलिस सहायता और लॉकअप जैसी बुनियादी सुविधाएं दी जाएं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला, लेकिन अमल में बाधाएं
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत औषधि निरीक्षकों को गिरफ्तार करने का अधिकार तो है, लेकिन गिरफ्तार आरोपी को पुलिस के सुपुर्द करने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि ज्यादातर अधिकारी इसका प्रयोग नहीं कर पाते। इस कारण अवैध दवा कारोबारियों के खिलाफ़ कार्रवाई में बाधा आती है।
महाराष्ट्र मॉडल को बताया आदर्श
केरल के पूर्व ड्रग कंट्रोलर और आईपीजीए (IPGA) के अध्यक्ष डॉ. एस. सतीश कुमार ने महाराष्ट्र में लागू मॉडल को बाकी राज्यों के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि सभी राज्य सरकारों को अपने ड्रग कंट्रोल दफ्तरों में पुलिस बूथ और लॉकअप सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि फार्मा सेक्टर में हो रहे अपराधों पर तुरंत रोक लगाई जा सके।
तेलंगाना ड्रग विभाग की तारीफ
DCO इंडिया के अध्यक्ष जी. कोटेश्वर राव और तेलंगाना ड्रग इंस्पेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष एस. चंद्रू ने इस कार्रवाई को ऐतिहासिक करार दिया। उनका मानना है कि यह गिरफ्तारी भविष्य में देशभर में ऐसे अपराधियों के खिलाफ़ सख्त रवैये की मिसाल बनेगी। उन्होंने यह भी बताया कि एक अकेला इंस्पेक्टर पूरे ऑपरेशन को अंजाम देता है, ऐसे में सहायक स्टाफ और पुलिस का सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
अन्य राज्य भी तैयारी में
तेलंगाना की इस कार्रवाई के बाद गोवा, लद्दाख और पांडिचेरी जैसे राज्यों के औषधि नियंत्रकों ने भी नकली दवा कारोबार पर लगाम कसने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही है।
कानूनी स्पष्टता की जरूरत
तमिलनाडु औषधि नियंत्रण प्रशासन के पूर्व निदेशक एडवोकेट जी. सेल्वाराजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने औषधि निरीक्षकों को गिरफ्तारी का अधिकार दिया है, लेकिन इस अधिकार का उपयोग पुलिस की प्रत्यक्ष सहायता से ही किया जाना चाहिए। उधर, तमिलनाडु फार्मास्युटिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन (TNPTA) के अध्यक्ष मन्नारगुडी रामचंद्रन ने बिना मजिस्ट्रेट वारंट की गिरफ्तारी को लेकर अधिनियम की कानूनी व्याख्या पर पुनर्विचार की बात कही है।
तेलंगाना में हुई गिरफ्तारी ने यह दिखा दिया है कि यदि कानून के तहत मिले अधिकारों को सही संसाधनों और ढांचे के साथ लागू किया जाए तो नकली दवा माफिया पर लगाम लगाई जा सकती है। अब यह राज्यों और केंद्र सरकार पर है कि वे ड्रग विभागों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराकर जनस्वास्थ्य की रक्षा में मजबूत भूमिका निभाएं।