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भारत में नैदानिक अनुसंधान क्षेत्र में पारदर्शिता और सुव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (सीआरओ) के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा शुरू कर दी है। 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले इस नए नियम के तहत, सभी सीआरओ को सुगम पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।
सीआरओ के प्रतिनिधि सुगम पोर्टल पर साइन-अप कर ‘क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन’ के रूप में अपना पंजीकरण कर सकते हैं। उन्हें आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे, जिसके बाद सीडीएससीओ के अधिकारी उनकी जानकारी की समीक्षा करेंगे। मंजूरी मिलने के बाद, संगठन पोर्टल में लॉग इन कर अपने कार्यों को आगे बढ़ा सकेंगे।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सितंबर 2024 में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें सीआरओ की परिभाषा और उनके संचालन के लिए पंजीकरण को अनिवार्य किया गया था। नए औषधि और नैदानिक परीक्षण नियम (NDCTR), 2019 के संशोधित प्रावधानों के तहत, बिना पंजीकरण के कोई भी सीआरओ नैदानिक परीक्षण, जैवउपलब्धता (BA), या जैवसमतुल्यता (BE) अध्ययन नहीं कर सकेगा।
– सीआरओ को सीएलए (केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण) से पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा।
– पंजीकरण के लिए 5 लाख रुपये का शुल्क अदा करना होगा।
– सीएलए 45 कार्य दिवसों के भीतर आवेदन की समीक्षा करेगा और आवश्यक होने पर सुधार के लिए अनुरोध कर सकता है।
– पंजीकरण की वैधता 5 वर्षों तक होगी।
– यदि आवेदन अस्वीकृत होता है, तो संगठन 45 दिनों के भीतर केंद्र सरकार के समक्ष अपील कर सकता है।
नियमों के अनुसार, सीआरओ को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास नैदानिक परीक्षणों और बीए/बीई अध्ययनों की निगरानी के लिए पर्याप्त सुविधाएं और प्रशिक्षित कर्मचारी हों। उन्हें परीक्षणों से जुड़े सभी दस्तावेजों और रिकॉर्ड को न्यूनतम पांच वर्षों तक संरक्षित रखना होगा।
अगर कोई सीआरओ नियमों का पालन नहीं करता है, तो सीएलए उसके पंजीकरण को अस्थायी रूप से निलंबित या स्थायी रूप से रद्द कर सकता है। नियामक अधिकारियों को सीआरओ के परिसरों में निरीक्षण करने, दस्तावेजों की जांच करने और जब्ती की अनुमति होगी।
सीडीएससीओ का यह कदम भारत में नैदानिक अनुसंधान क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाने और नैतिक अनुसंधान पद्धतियों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भारत का नैदानिक अनुसंधान तंत्र भी मजबूत होगा।
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