
एनपीपीए ने 80 नई दवाओं की कीमतें की तय दवा बाजार पर प्रभाव
दिल्ली :- राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने अपनी हालिया बैठक में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और दर्द निवारक जैसी बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली 80 नई दवाओं की कीमतें तय कर दी हैं। यह निर्णय भारतीय दवा बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
प्रमुख निर्णय और प्रभावित दवाएं
इस बैठक में 38 विभिन्न फॉर्मूलेशन और उनकी शक्तियों की कीमतों को निर्धारित किया गया। इनमें एम्पाग्लिफ्लोज़िन प्रमुख रूप से शामिल है, जो एक प्रभावी मधुमेह विरोधी दवा है। एम्पाग्लिफ्लोज़िन का पेटेंट 22 मार्च, 2025 को समाप्त हो गया, जिससे जेनेरिक दवाओं के लिए बाजार खुल गया। इस फैसले के बाद कई प्रमुख दवा कंपनियों, जैसे सिप्ला लिमिटेड, ज़ाइडस हेल्थकेयर, ल्यूपिन लिमिटेड, इंटास फार्मास्यूटिकल्स और कैडिला फार्मास्यूटिकल्स को इस दवा के नए फॉर्मूलेशन की कीमतों की स्वीकृति मिली।
बोह्रिंजर इंगेलहेम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (बीआईआईपीएल) ने खुदरा कीमतों के निर्धारण पर आपत्ति जताई, यह तर्क देते हुए कि एम्पाग्लिफ्लोज़िन के पेटेंट की समाप्ति तिथि गलत दर्ज की गई थी। हालांकि, एनपीपीए ने स्पष्ट किया कि औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ), 2013 के प्रावधानों के अनुसार पेटेंट घटक की कीमत में 50 प्रतिशत की कमी करने की विधि को अपनाया गया है, जिससे मूल्य निर्धारण विवाद का समाधान हुआ।
मरीजों और दवा बाजार पर प्रभाव
इस मूल्य निर्धारण के बाद निम्नलिखित प्रभाव देखने को मिल सकते हैं:
- मरीजों को राहत: दवाओं की कीमतों में स्थिरता आने से मधुमेह और उच्च रक्तचाप के मरीजों को सस्ती दवाएं मिलेंगी।
- प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: पेटेंट समाप्त होने के बाद जेनेरिक दवा कंपनियों के लिए बाजार में प्रवेश करना आसान होगा, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और कीमतों में और कमी आ सकती है।
- फार्मा उद्योग पर असर: नई कीमतों के कारण कुछ ब्रांडेड दवा निर्माताओं की आय में कमी आ सकती है, लेकिन व्यापक बाजार पहुंच से उन्हें दीर्घकालिक लाभ हो सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण दवाएं जिनकी कीमतें निर्धारित हुईं
एनपीपीए ने सिटाग्लिप्टिन, डेपाग्लिफ्लोजिन, लिनाग्लिप्टिन और ग्लिमेपिराइड युक्त मधुमेह रोधी फॉर्मूलेशन, टेल्मिसर्टन युक्त उच्च रक्तचाप की दवा, और एटोरवास्टेटिन के साथ कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं की कीमतें भी तय की हैं। इससे इन महत्वपूर्ण दवाओं की उपलब्धता और affordability में सुधार होगा।
निष्कर्ष
एनपीपीए का यह निर्णय भारतीय दवा बाजार को संतुलित करने और आवश्यक दवाओं को सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय खासकर मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीजों के लिए राहत भरा होगा, क्योंकि अब उन्हें प्रभावी दवाएं सस्ते दामों पर उपलब्ध हो सकेंगी।