
उत्तराखंड में बिना रेरा पंजीकरण के अवैध प्लॉटिंग और निर्माण पर कसा शिकंजा, रेरा ने सभी प्राधिकरणों को लिखा पत्र
हरिद्वार :- हरिद्वार समेत उत्तराखंड में बिना रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के पंजीकरण के अवैध प्लॉटिंग और भवन निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। इसको लेकर उत्तराखंड भूसंपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) ने सभी संबंधित प्राधिकरणों को पत्र लिखकर निर्देश जारी किए हैं।
गौरतलब है किभूसंपदा (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016के तहत, 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाली या 8 से अधिक यूनिटों वाली किसी भी रियल एस्टेट परियोजना का पंजीकरण उत्तराखंड रेरा में अनिवार्य है। लेकिन, कई मामलों में बिना पंजीकरण के ही भूमि की प्लॉटिंग और निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जिससे खरीदारों के हितों को नुकसान हो सकता है।
रेरा के निर्देश
उत्तराखंड रेरा ने सभी विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया है कि01 अप्रैल, 2024 से वर्तमान तक ऐसी सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं का पूरा विवरण अनिवार्य रूप से प्राधिकरण को उपलब्ध कराया जाए। इसमें संबंधित व्यक्ति, फर्म, कंपनी, एलएलपी आदि की पूरी जानकारी शामिल होगी।
इसके अलावा, भविष्य में किसी भीनक्शे या ले-आउट प्लान को पारित करने के एक सप्ताह के भीतर उस परियोजना की पूरी जानकारी रेरा को देना अनिवार्य किया गया है।
बढ़ते अवैध निर्माण और खरीदारों के हितों पर खतरा
हरिद्वार सहित राज्य के कई हिस्सों में बिना रेरा पंजीकरण के अवैध प्लॉटिंग और निर्माण के मामले बढ़ रहे हैं। रेरा के नियमों के उल्लंघन से आम खरीदारों के साथ धोखाधड़ी की आशंका बढ़ जाती है, क्योंकि बिना पंजीकरण वाली परियोजनाओं में कानूनी रूप से खरीदारों के अधिकार सुरक्षित नहीं रहते। हरिद्वार जनपद में ऐसे कई प्रोजेक्ट है जो बिना रेरा पंजीकरण के अवैध तरीके से संचालित हो रहे है
रेरा का यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब यह देखना होगा कि इस निर्देश का पालन कितनी सख्ती से किया जाता है और अवैध निर्माण पर कितनी जल्दी कार्रवाई होती है।