हरिद्वार में रेरा कानून की अनदेखी, अवैध कॉलोनियों का बोलबाला
बिना रजिस्ट्रेशन कट रहे प्लॉट, हो रही रजिस्ट्री, सोशल मीडिया पर हो रहा खुलेआम प्रचार
हरिद्वार। रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट यानी रेरा कानून की हरिद्वार में खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। रानीपुर, बहादराबाद, सिडकुल, भगवानपुर और ज्वालापुर जैसे क्षेत्रों में दर्जनों अवैध कॉलोनियां और बिल्डिंग प्रोजेक्ट बिना किसी वैध रजिस्ट्रेशन के न सिर्फ विकसित हो रहे हैं, बल्कि इनकी खुलेआम बुकिंग, प्रचार और रजिस्ट्री भी की जा रही है।
रेरा अधिनियम 2016 के अनुसार, किसी भी 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र अथवा 8 से अधिक यूनिट्स वाली परियोजना को उत्तराखंड रेरा (UK-RERA) में पंजीकृत कराना अनिवार्य है। बिना पंजीकरण के न तो उस परियोजना का विज्ञापन किया जा सकता है, न ही बुकिंग, बिक्री अथवा रजिस्ट्री।
लेकिन ज़मीनी हकीकत इस कानून से कोसों दूर है।
सोशल मीडिया पर लुभावने ऑफर, बायर्स हो रहे गुमराह
इन अवैध कॉलोनियों का प्रचार अब सीधे लोगों के मोबाइल तक पहुँच रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप ग्रुप्स और यूट्यूब पर “बुकिंग ओपन”, “लाइफटाइम इन्वेस्टमेंट” और “बिना ब्याज किस्तों में प्लॉट” जैसे ऑफर धड़ल्ले से वायरल हो रहे हैं।
न तो किसी पोस्ट में रेरा नंबर है, न ही किसी प्रमोटर की जानकारी। ग्राहकों को सिर्फ “लोकेशन दिखा देंगे” और “कब्जा तुरंत” जैसे वादों के सहारे फंसाया जा रहा है।
रजिस्ट्री भी धड़ल्ले से, अधिकारी मौन
शासन की ओर से स्पष्ट आदेश हैं कि रेरा रजिस्ट्रेशन के बिना रजिस्ट्रार ऑफिस कोई रजिस्ट्री स्वीकार नहीं करेगा। लेकिन ग्राउंड पर स्थिति इसके उलट है। सूत्रों की मानें तो कई कॉलोनियों में अभी तक सैकड़ों रजिस्ट्री हो चुकी हैं — बिना किसी वैध मानचित्र स्वीकृति, बुनियादी सुविधाओं या प्रशासनिक अनुमति के।
रेरा अधिनियम क्या कहता है?
धारा 3 (1) : बिना पंजीकरण कोई भी प्रमोटर परियोजना का विज्ञापन, बुकिंग या बिक्री नहीं कर सकता।
धारा 13 (1) : ग्राहक से कोई अग्रिम राशि लेना भी रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट में ही वैध है।
धारा 59 : नियमों के उल्लंघन पर ₹10 लाख तक जुर्माना और/या 3 साल तक की सजा संभव है।
धारा 9: एजेंट को भी रेरा में पंजीकरण लेना ज़रूरी है, नहीं तो वह किसी प्रोजेक्ट का सौदा नहीं कर सकता।
जनता को खतरा, अधिकारों से अनजान
इन कॉलोनियों में निवेश करने वाले अधिकतर खरीदार निम्न व मध्यमवर्गीय हैं, जिन्हें न रेरा नियमों की जानकारी होती है और न ही ये समझ पाते हैं कि भविष्य में:
बिजली, पानी, सीवरेज जैसी सुविधाएं नहीं मिलेंगी
बैंक से होम लोन नहीं मिलेगा
और भवन निर्माण कर लिया तो ‘अवैध निर्माण’ का नोटिस मिल सकता है।
आखिर जिम्मेदारी किसकी , कार्रवाई नदारद
रेरा पोर्टल पर ऐसे किसी कॉलोनी या प्रोजेक्ट का नाम तक नहीं है, बावजूद इसके वे फल-फूल रही हैं। सवाल उठता है कि क्या यह मिलीभगत है या गंभीर लापरवाही?
जिम्मेदार विभागों की चुप्पी संदेह को और गहरा करती है।
ग्राहकों के लिए जरूरी चेतावनी
✅ किसी भी कॉलोनी/प्रोजेक्ट में निवेश से पहले:
🔹 उसका रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर चेक करें
🔹 प्रमोटर और एजेंट से रजिस्टर्ड दस्तावेज मांगें
🔹 नक्शा स्वीकृति की प्रति ज़रूर देखें
🔹 कोई ठगी हो तो रेरा अथॉरिटी में ऑनलाइन शिकायत करें