
राज्यों को डीसीजीआई की चेतावनी: 35 अस्वीकृत एफडीसी पर तुरंत कार्रवाई करें
नई दिल्ली | देश में बिना वैज्ञानिक परीक्षण के बाजार में आ रही दवाओं को लेकर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने कड़ा रुख अपनाया है। भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने बुधवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रकों को पत्र लिखकर 35 ऐसे निश्चित खुराक संयोजन (FDCs) की सूची पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जिन्हें नई दवाओं की श्रेणी में रखा गया है लेकिन जिनका सुरक्षा और प्रभावकारिता का पूर्व मूल्यांकन नहीं किया गया।
डीसीजीआई ने चेतावनी दी है कि इन दवाओं को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत लागू न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल (NDCT) नियम, 2019 के अनुरूप मंजूरी नहीं मिली है, जिससे मरीजों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
संयोजन जिन्हें लेकर जताई गई चिंता
जिन एफडीसी की सूची जारी की गई है, उनमें मेटफॉर्मिन, ग्लिमेपिराइड और डेपाग्लिफ्लोजिन जैसे मधुमेह-नियंत्रक घटकों का मिश्रण, खांसी और सर्दी की दवाओं में प्रयुक्त डेक्सट्रोमेथॉरफन व फिनाइलफ्रीन, तथा हृदय रोगियों के लिए प्रयुक्त रोसुवास्टेटिन, क्लोपिडोग्रेल और एस्पिरिन का संयुक्त कैप्सूल शामिल है।
इन दवाओं को बिना वैज्ञानिक परीक्षणों के राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों द्वारा लाइसेंस दिया गया, जो कि नियमों का उल्लंघन है। डीसीजीआई ने कहा कि इस प्रकार की मनमानी से न केवल मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है, बल्कि यह दवा के दुष्प्रभाव और परस्पर क्रियाओं का भी खतरा बढ़ाता है।
निर्माताओं का जवाब और नियामकों की जवाबदेही
जब इन संयोजनों के निर्माताओं से जवाब मांगा गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें राज्य स्तर से वैध लाइसेंस मिले हैं और उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभिन्न राज्यों में NDCT नियमों का एक समान और सख्त क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।
डीसीजीआई की सख्त हिदायत
डीसीजीआई ने निर्देश दिए हैं कि ऐसे सभी एफडीसी की जांच की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि जब तक सुरक्षा व प्रभावकारिता का मूल्यांकन न हो जाए, तब तक इनका निर्माण, बिक्री और वितरण न हो। साथ ही, जांच की रिपोर्ट डीसीजीआई कार्यालय को तत्काल भेजने के लिए कहा गया है।
पृष्ठभूमि में चल रहे कानूनी संघर्ष
इससे पहले भी CDSCO ने कई तर्कहीन एफडीसी को बाजार से हटाने की कार्रवाई की थी, जिनमें से कई मामलों में दवा कंपनियों ने उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दाखिल की थीं। यह ताजा कदम उन कार्रवाइयों की ही अगली कड़ी माना जा रहा है।
सारांश में:
डीसीजीआई का यह सख्त कदम देशभर में औषधियों की मंजूरी प्रक्रिया में एकरूपता लाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।