
नीरज क्लीनिक पर छापा: इलाज के नाम पर भरोसे का सौदा?
ऋषिकेश, जहाँ गंगा की लहरें शांति का संदेश देती हैं, वहीं बुधवार को शहर के बीचोंबीच स्थितनीरज क्लीनिकमें कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे चिकित्सा जगत को झकझोर कर रख दिया। मिर्गी जैसे गंभीर रोग के इलाज के नाम पर चल रही एक क्लीनिक पर अनधिकृत दवाओं के उपयोग का आरोप लगने के बाद, केंद्र और राज्य औषधि नियंत्रण विभाग की संयुक्त टीम ने क्लीनिक पर छापा मारा।
छापेमारी की सुबह: जब दरवाज़े पर दस्तक हुई
सुबह के करीब दस बजे जब हरिद्वार रोड पर स्थित नीरज क्लीनिक की रोज़मर्रा की गतिविधियाँ शुरू ही हुई थीं, तभी अचानक औषधि नियंत्रण विभाग की टीम क्लीनिक के अंदर दाखिल हुई। अंदर मौजूद कर्मचारियों और मरीज़ों में हड़कंप मच गया। किसी को समझ नहीं आया कि हुआ क्या है।
पांच कट्टे, चार सैंपल और कई सवाल
सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान टीम को पांच बड़े कट्टों में संदिग्ध दवाएं मिलीं, जिनका कोई अधिकृत रिकॉर्ड मौजूद नहीं था। इन दवाओं को तत्काल सील कर लिया गया और चार मुख्य दवाओं के सैंपल जांच के लिए भेजे गए। अधिकारियों ने क्लीनिक के दस्तावेज खंगाले, कर्मचारियों से पूछताछ की और फिर एक गंभीर निर्णय पर पहुंचे — क्लीनिक का लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश।
शिकायत की चिंगारी, जो महाराष्ट्र से उठी
इस कार्रवाई के पीछे एक शिकायत है जो महाराष्ट्र के एक व्यक्ति ने की थी। आरोप था कि इस क्लीनिक में मिर्गी के इलाज में बिना अनुमति की दवाएं दी जा रही हैं, जो न केवल गैरकानूनी हैं बल्कि मरीज़ों की सेहत से खिलवाड़ भी हो सकता है।
आयुर्वेदिक दवाएं भी संदेह के घेरे में
इस बार आयुष विभाग भी इस छापेमारी का हिस्सा बना। टीम को लिफाफा बंद पैकेटों में कई गोलियाँ मिलीं जिन्हें कब्जे में लिया गया। इन दवाओं की प्रकृति क्या है, इसका खुलासा सैंपल रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगा। यदि गड़बड़ी पाई जाती है, तो क्लीनिक संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तय मानी जा रही है।
अब इंतज़ार है जांच रिपोर्ट का
करीब आठ घंटे तक चली इस कार्रवाई ने ऋषिकेश की सड़कों पर चर्चा का विषय बना दिया है। क्या यह एक लापरवाही थी? क्या यह मुनाफे की लालच में की गई गलती थी? या किसी गहरे रैकेट का हिस्सा?
फिलहाल, क्लीनिक संचालक से जवाब तलब किया गया है और जांच जारी है। लेकिन यह मामला हमें यह सोचने पर ज़रूर मजबूर करता है — इलाज के नाम पर हम जो भरोसा करते हैं, वो कहीं व्यापार तो नहीं बनता जा रहा?