
खाद्य उत्पादक पशुओं में एंटीबायोटिक दवाओं पर प्रतिबंध: सीडीएससीओ की सख्ती
नई दिल्ली: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रकों को निर्देश दिया है कि वे खाद्य उत्पादक पशुओं में एंटीबायोटिक क्लोरैमफेनिकॉल और नाइट्रोफ्यूरान के उपयोग पर कड़ी निगरानी रखें। यह कदम इन दवाओं के संभावित दुष्प्रभावों और खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
सरकारी अधिसूचना और निर्देश
12 मार्च, 2025 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तत्काल प्रभाव से इन दवाओं के आयात, निर्माण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया। औषधि महानियंत्रक डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने राज्यों के औषधि नियामकों को निर्देशित किया कि वे इन दवाओं के उपयोग की रोकथाम सुनिश्चित करें और डी एंड सी अधिनियम के तहत आवश्यक कार्रवाई करें।
खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य पर प्रभाव
CDSCO ने यह कदम औषधि परामर्श समिति (DCC) और औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (DTAB) की सिफारिशों के आधार पर उठाया है। समिति ने पाया कि पोल्ट्री और अन्य पशु आहार पूरकों में इन दवाओं का दुरुपयोग हो रहा था, जिससे मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
मंत्रालय की चिंता
स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इन दवाओं के सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हैं और इनका उपयोग खाद्य उत्पादक पशुओं में जोखिम पैदा कर सकता है। इसलिए, सरकार ने इन दवाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना जनहित में आवश्यक समझा।
पूर्व अध्ययन और निष्कर्ष
डीसीसी की बैठक में समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) और पशुपालन एवं डेयरी विभाग की रिपोर्ट के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि इन दवाओं के उपयोग से खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
निष्कर्ष
इस प्रतिबंध के साथ, सरकार खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और मानव स्वास्थ्य की रक्षा करने की दिशा में कदम उठा रही है। राज्यों को इस पर सख्ती से अमल करने और नियमित निरीक्षण के निर्देश दिए गए हैं।