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July 21, 2025 Vol 20

अनुसूची एम में संशोधन की तैयारी, WHO मानकों के अनुरूप होंगे सूक्ष्मजीव संदूषण की सीमाएं

अनुसूची एम में संशोधन की तैयारी, WHO मानकों के अनुरूप होंगे सूक्ष्मजीव संदूषण की सीमाएं

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नई दिल्ली | 21 जुलाई 2025 | संवाददाता गिरीश बाबू
भारत सरकार का औषधि नियामक तंत्र अब औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की अनुसूची ‘एम’ में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। यह बदलाव विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तकनीकी रिपोर्ट श्रृंखला (TRS-1044, अनुलग्नक II) के अनुरूप ग्रेड ‘ए’ क्लीनरूम में सूक्ष्मजीवी संदूषण की सीमाएं तय करने को लेकर है।

इस दिशा में औषधि परामर्शदात्री समिति (DCC) की 17 जून को हुई बैठक में प्रस्ताव पर विचार किया गया, जिसमें यह माना गया कि मौजूदा भारतीय सीमा और WHO द्वारा तय सीमा के बीच विसंगति है, जिसे अब दूर किया जाएगा।

क्या है बदलाव की जरूरत?

अनुसूची एम के भाग XIID के पैरा ‘बी’ की तालिका II में माइक्रोबियल संदूषण की जो सीमाएं बताई गई हैं, वे WHO TRS-1044 से मेल नहीं खातीं। इससे न केवल देश के फार्मा मैन्युफैक्चरिंग स्टैंडर्ड्स में असमानता पैदा होती है, बल्कि निर्यात प्रक्रिया में भी बाधा आती है।

प्रस्तावित बदलाव:

  • अनुसूची एम में ग्रेड ‘A’ क्लीनरूम की CFU (Colony Forming Units) सीमा को WHO मानकों के अनुरूप संशोधित किया जाएगा।

  • इससे माइक्रोबायोलॉजिकल मॉनिटरिंग, पर्यावरणीय स्वच्छता की निगरानी और नियामक स्वीकृति प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी और प्रभावशाली बनेंगी।

बदलाव से क्या होगा असर?

  • भारतीय फार्मा कंपनियों को वैश्विक मानकों के अनुरूप GMP (Good Manufacturing Practices) अपनाने में मदद मिलेगी।

  • WHO सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय दवाओं की स्वीकृति और विश्वसनीयता बढ़ेगी।

  • फार्मा क्षेत्र में निवेश और निर्यात को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

इस प्रस्ताव के अमल में आने के बाद भारत की दवा निर्माण प्रणाली और अधिक वैज्ञानिक, पारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के अनुकूल बन जाएगी। नियामक संशोधन की यह पहल देश को वैश्विक फार्मा मानचित्र पर और मजबूत स्थान दिला सकती है।


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