उत्तराखंड FDA ने दी स्पष्टता: राज्य में Mephedrone से जुड़ी न तो कोई फैक्ट्री है, न ही विभागीय लापरवाही
देहरादून, हाल ही में एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट के बाद, उत्तराखंड में मादक पदार्थ Mephedrone के निर्माण से जुड़ी गतिविधियों को लेकर पैदा हुई शंकाओं पर राज्य के खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) ने स्थिति स्पष्ट करते हुए पूर्ण पारदर्शिता का परिचय दिया है।
एफ.डी.ए. मुख्यालय देहरादून से जारी विभागीय स्पष्टीकरण के अनुसार, जिस अवैध फैक्ट्री से Mephedrone की बरामदगी हुई है वह उत्तराखंड की नहीं, बल्कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा जनपद पिथौरागढ़ में पकड़ी गई एक निजी अवैध इकाई थी, जिसमें संलिप्त दो व्यक्ति उत्तराखंड निवासी हैं। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि ये दोनों पूर्व में उत्तर प्रदेश में इसी तरह के मादक पदार्थों के अवैध निर्माण में शामिल रह चुके हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि जनपद पिथौरागढ़ में औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 के अंतर्गत कोई भी मान्यता प्राप्त औषधि निर्माण इकाई संचालित नहीं है।
एफ.डी.ए. ने यह दोहराया है कि Mephedrone को भारत में फार्मास्युटिकल उपयोग के लिए स्वीकृत नहीं किया गया है, इसीलिए यह औषधि प्रशासन विभाग के दायरे से बाहर आता है। चूंकि यह पदार्थ स्वापक एवं मन: प्रभावी औषधि अधिनियम, 1985 के अंतर्गत आता है, इसकी निगरानी की जिम्मेदारी केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो और राज्य स्तर पर आबकारी विभाग की है।
“प्रकरण का कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध उत्तराखंड एफ.डी.ए. से नहीं है,” — ऐसा कहना है डॉ. सुधीर कुमार, सहायक औषधि नियंत्रक, मुख्यालय देहरादून का, जिन्होंने दिनांक 3 जुलाई को यह अधिकृत आख्या जारी की।
इस स्पष्टीकरण के साथ यह स्पष्ट है कि राज्य का औषधि प्रशासन न केवल सजग है, बल्कि बिना किसी शिथिलता के जनहित में तत्परता से कार्य कर रहा है। विभाग की यह पारदर्शिता प्रशासनिक ईमानदारी और जवाबदेही की मिसाल है।