उत्तराखंड की दवा निर्माताओं पर सवाल: CDSCO और राज्य एजेंसियों की जांच में 27 दवाओं सैंपल फेल, कुछ कंपनियों के बार-बार सैंपल फेल
उत्तराखंड :- देशभर में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर सख्ती बढ़ती जा रही है। CDSCO (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) और राज्य औषधि नियामक संस्थाएं लगातार दवाओं के सैंपल की जांच कर रही हैं। इस कड़ी में जून 2025 से अब तक उत्तराखंड में निर्मित 27 दवाएं मानकों पर फेल पाई गई हैं।
ये आंकड़े केवल संख्या नहीं, बल्कि राज्य की फार्मा इंडस्ट्री की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। हरिद्वार, देहरादून और उधमसिंह नगर की कई नामी-गिरामी दवा कंपनियों की निर्माणित दवाएं जांच में गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं।
जिलेवार स्थिति:
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हरिद्वार: 20 दवाएं फेल
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देहरादून: 4 दवाएं फेल
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उधमसिंह नगर: 3 दवाएं फेल
कुछ कंपनियों पर बार-बार सवाल:
चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ कंपनियों के दवाओं के सैंपल लगातार फेल हो रहे हैं। ये पहली बार नहीं है, जब उत्तराखंड की दवाएं गुणवत्ता जांच में फेल हुई हैं। पिछले वर्षों में भी कई बार राज्य की दवा कंपनियों के सैंपल CDSCO की मासिक रिपोर्ट में फेल हो चुके हैं।
लुसेंट बायोटेक, एसएम हर्बल्स, एस्ट्रा मेडिसाइंस, जैसी कंपनियां पहले भी इस तरह की जांच में फेल हो चुकी हैं। अब सवाल उठता है कि बार-बार सैंपल फेल होने के बावजूद इन कंपनियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
सरकारी कार्रवाई और जवाबदेही:
उत्तराखंड एफडीए (FDA) ने केंद्र और राज्य सरकार के निर्देशों पर कई कंपनियों का निरीक्षण किया है। जिन कंपनियों की दवाएं फेल हुई हैं, उन्हें नोटिस जारी किए जा रहे हैं। कुछ मामलों में लाइसेंस की समीक्षा की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
CDSCO की सक्रियता और राज्यों की सैंपलिंग कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार अब इस मुद्दे को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी।
आम जनता पर खतरा:
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, घटिया और अधोमानक दवाएं मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। यदि कोई व्यक्ति असली दवा समझ कर नकली या अधोमानक दवा ले रहा है, तो उसका इलाज तो प्रभावित होगा ही, बल्कि जिंदगी भी खतरे में पड़ सकती है।