कर्नाटक में पहली बार लागू होगी एनएसक्यू रिकॉल नीति, घटिया दवाओं की होगी त्वरित वापसी

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कर्नाटक में पहली बार लागू होगी एनएसक्यू रिकॉल नीति, घटिया दवाओं की होगी त्वरित वापसी
Last updated: 2025/03/04 at 5:42 AM
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कर्नाटक में पहली बार लागू होगी एनएसक्यू रिकॉल नीति, घटिया दवाओं की होगी त्वरित वापसी

बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार बाजार में उपलब्ध घटिया गुणवत्ता (एनएसक्यू) की दवाओं को तेजी से वापस बुलाने के लिए एक नई एनएसक्यू रिकॉल नीति लागू करने की तैयारी कर रही है। यह नीति, जो देश में अपनी तरह की पहली होगी, राज्य में दवा सुरक्षा को मजबूत करने और नकली व निम्न-गुणवत्ता की दवाओं के खतरे को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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क्यों जरूरी है यह नीति?

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडू राव के अनुसार, “हम बाजार से घटिया दवाओं के बैच को तुरंत हटाने के लिए एक मजबूत रिकॉल तंत्र विकसित कर रहे हैं। यह नीति आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करेगी।”

इस पहल की पृष्ठभूमि में पश्चिम बंगाल की फार्मा कंपनी द्वारा नवंबर 2024 में बल्लारी जिले में घटिया रिंगर लैक्टेट की आपूर्ति के कारण हुई मातृ मृत्यु की घटना है। इस दुखद घटना के बाद सरकार को एहसास हुआ कि ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए एक कठोर नीति लागू करने की जरूरत है।

कैसे काम करेगी यह नीति?

1. विशेष सॉफ्टवेयर तैयार किया जाएगा– इसमें सभी खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं और निर्माताओं के विवरण होंगे, जिससे बाजार में एनएसक्यू दवाओं की पहचान तुरंत की जा सकेगी।
2. नियमित निरीक्षण और परीक्षण– राज्य औषधि नियंत्रण विभाग पहले से ही दवा दुकानों से नमूने इकट्ठा कर **बेंगलुरु, बेलगाम और हुबली** की परीक्षण प्रयोगशालाओं में उनकी जांच करता है। अब इस प्रक्रिया को और मजबूत किया जाएगा।
3. कड़े दंड प्रावधान– यदि कोई दवा निर्माता या विक्रेता खराब गुणवत्ता वाली दवाओं को वापस बुलाने में विफल रहता है, तो उसे भारी जुर्माने और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
4. निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को भी किया जाएगा शामिल– अभी तक, सरकारी अस्पतालों से घटिया दवाओं की वापसी का प्रावधान था, लेकिन निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में ऐसी दवाओं की पहचान और वापसी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी। इस नीति से इसे भी लागू किया जाएगा।

देशव्यापी नीति की जरूरत

कर्नाटक सरकार ने हाल ही में केंद्र सरकार से भी आग्रह किया था कि घटिया और नकली दवाओं पर देशव्यापी सतर्कता प्रणाली बनाई जाए। जनवरी से फरवरी 2025 के बीच राज्य में **बाँझपन परीक्षण में विफल इंजेक्टेबल दवाओं के मामले** सामने आए, जिससे इस तरह की नीति की आवश्यकता और बढ़ गई।

नशीली दवाओं और एंटीबायोटिक दुरुपयोग पर भी सख्ती
इसके अलावा, कर्नाटक सरकार ने फार्मेसियों में नशीली दवाओं और साइकोट्रोपिक पदार्थों की बिक्री** पर सख्त निगरानी शुरू कर दी है। हाल ही में 488 फार्मेसी आउटलेट्स की जांच की गई, जिसमें:

400 स्टोर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए**
231 लाइसेंस निलंबित किए गए
3 फार्मेसी लाइसेंस रद्द किए गए

फरवरी में एंटीबायोटिक दवाओं की अनियंत्रित बिक्री पर विशेष अभियान भी चलाया गया, जिसमें 52 मेडिकल स्टोर्स को बिना डॉक्टर के पर्चे के एंटीबायोटिक बेचते पाया गया।

सरकार की क्या है योजना?

सरकार का मानना है कि इस एनएसक्यू रिकॉल नीति के लागू होने से:

– दवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा
– जनता की सुरक्षा सुनिश्चित होगी
– दवा उद्योग में पारदर्शिता बढ़ेगी
– घटिया और नकली दवाओं पर पूरी तरह रोक लगेगी

निष्कर्ष

कर्नाटक सरकार की यह पहल देशभर में स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर एक नई दिशा दिखा सकती है। यदि यह नीति प्रभावी रूप से लागू होती है, तो अन्य राज्य भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। दवा की गुणवत्ता से समझौता करने वालों पर कड़ी कार्रवाई और आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता से मरीजों को सुरक्षित और प्रभावी चिकित्सा सुविधाएं मिल सकेंगी।

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