
गुजरात में दवाइयों की दुनिया में एक बड़ा खुलासा हुआ है। गुजरात खाद्य एवं औषधि नियंत्रण प्रशासन (FDCA) ने एक नामी दवा ब्रांड की पैकिंग परनकली QR कोडपाए हैं। ये कोड उपभोक्ताओं को दवा की प्रामाणिकता का भरोसा दिलाते हैं, लेकिन इस बार यही कोड धोखे का जरिया बन गए।
FDCA के आयुक्त डॉ. एच.जी. कोशिया ने बताया कि अब तक 900 से अधिक नकली स्ट्रिप्स जब्त की जा चुकी हैं, और जांच लगातार तेज़ी से आगे बढ़ रही है। इस पूरे ऑपरेशन का मकसद दवा आपूर्ति श्रृंखला में पनप रहे अवैध नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करना है।
गौरतलब है कि अगस्त 2023 से भारत सरकार ने शीर्ष 300 दवा ब्रांड्स के लिए QR कोड अनिवार्य किए थे, ताकि दवाओं कीट्रैकिंग और वैरिफिकेशनआसान हो सके। लेकिन इस मामले ने तकनीक को चकमा देने वाले गिरोहों की खतरनाक हिम्मत को उजागर कर दिया है।
FDCA ने अपनी कार्रवाई के तहत न सिर्फ छापे और फोरेंसिक जांच शुरू की है, बल्कि पूरे राज्य में 150 प्रमुख दवा प्रवर्तन अधिकारियों कोविशेष प्रशिक्षणदेने की भी योजना शुरू कर दी है। इन अधिकारियों को डिजिटल ट्रैकिंग, प्रमाणीकरण तकनीक और फील्ड इंस्पेक्शन में दक्ष किया जाएगा।
डॉ. कोशिया ने दवा कंपनियों से अपील की है कि वेसुरक्षा तकनीकों को मजबूत करेंऔर FDCA के साथ मिलकर काम करें। उन्होंने आम नागरिकों से भी आग्रह किया है कि वे किसी भी संदिग्ध दवा की रिपोर्ट FDCA की हेल्पलाइन पर करें और QR कोड्स की वैरिफिकेशन ज़रूर करें।
यह मामला न सिर्फ फार्मा इंडस्ट्री के लिए एक चेतावनी है, बल्कि आम जनता के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा भी उजागर करता है। नकली दवाएं जानलेवा साबित हो सकती हैं। ऐसे में यह कार्रवाई भारत में नकली दवाओं के खिलाफएक निर्णायक मोड़बन सकती है।