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July 1, 2025 Vol 20

ईडी का एक्शन: फार्मा कंपनियों की आड़ में नशे का कारोबार, छापेमारी में हुआ बड़ा खुलासा

ईडी का एक्शन: फार्मा कंपनियों की आड़ में नशे का कारोबार, छापेमारी में हुआ बड़ा खुलासा

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हरिद्वार/देहरादून  ड्रग माफिया और फार्मा कंपनियों के गठजोड़ ने पूरे उत्तर भारत में नशे का जाल बिछा दिया था। अब इस सिंडिकेट पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। मंगलवार को ईडी की टीमों ने उत्तराखंड के हरिद्वार, ऋषिकेश और काशीपुर में पांच फार्मा कंपनियों के परिसरों पर छापे मारे। यह कार्रवाई नशीले पदार्थों की अवैध आपूर्ति, मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी दवा उत्पादन की जांच के तहत की गई।

जांच का दायरा बढ़ा, 6 राज्यों में एक साथ छापेमारी

ईडी की यह कार्रवाई सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं रही। एजेंसी ने यूपी, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में भी कुल 15 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। इससे स्पष्ट होता है कि इस नेटवर्क की जड़ें पैन-इंडिया स्तर पर फैली हुई थीं।

छापेमारी किन कंपनियों पर हुई?

जिन पांच कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हुई, उनमें शामिल हैं:

  • बायोजेनेटिक ड्रग्स प्रा. लि. (हरिद्वार)

  • सीबी हेल्थकेयर (ऋषिकेश)

  • सीमिलेक्स फार्माकेम ड्रग्स इंडस्ट्रीज (काशीपुर)

  • सोल हेल्थ केयर (आई) प्रा. लि.

  • एस्टर फार्मा

इन सभी कंपनियों पर प्रतिबंधित और नियंत्रित दवाओं के असामान्य उत्पादन, रिकॉर्ड से अधिक स्टॉक, और कालेधन को वैध बनाने (मनी लॉन्ड्रिंग) के आरोप हैं।


ड्रग पैडलर एलेक्स की गिरफ्तारी से खुला राज

इस पूरे ऑपरेशन की नींव ड्रग तस्कर एलेक्स पालीवाल की गिरफ्तारी से पड़ी। एसटीएफ की पूछताछ में एलेक्स ने कुबूल किया कि कई फार्मा कंपनियों के साथ उसका सीधा संपर्क था। कंपनियां उसे ऐसे टैबलेट्स और सिरप मुहैया कराती थीं, जो सीधे तौर पर नशे के रूप में उपयोग किए जाते थे।

“एक दवा का उत्पादन सिर्फ चार महीनों में 20 करोड़ टैबलेट्स तक पहुंच गया — जबकि इस दवा की मांग बाजार में कहीं नहीं थी। इससे साफ होता है कि उत्पादन कानूनी खपत से कई गुना अधिक किया गया था।” — ईडी अधिकारी (नाम न जाहिर करने की शर्त पर)


कैसे काम करता था फार्मा-ड्रग सिंडिकेट?

  • फार्मा कंपनियां वैध लाइसेंस पर दवा उत्पादन करती थीं

  • उत्पादन की मात्रा रिकॉर्ड से कहीं अधिक होती

  • उत्पादित दवाएं डॉक्यूमेंट में अन्य थोक खरीदारों को बेची दिखायी जातीं

  • हकीकत में दवाएं ड्रग पैडलर्स तक पहुंचतीं

  • नशेड़ी युवाओं में यह दवाएं बेहद सस्ती दरों पर बांटी जातीं

  • मुनाफा सीधा कैश में लिया जाता, जो मनी लॉन्ड्रिंग से ‘साफ’ किया जाता


ईडी की अगली कार्रवाई: संपत्तियां हो सकती हैं जब्त

ईडी अब जांच के अगले चरण में इन कंपनियों और ड्रग सिंडिकेट से जुड़े लोगों की संपत्तियों को ट्रैक कर रही है। माना जा रहा है कि इनपर बेनामी संपत्ति एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत बड़ी कार्रवाई संभव है


कंपनियों की सफाई में खामोशी

ईडी की छापेमारी के बाद जब इन कंपनियों से संपर्क किया गया तो किसी ने भी आधिकारिक तौर पर जवाब नहीं दिया। कुछ फैक्ट्रियां पूरी तरह बंद थीं, जबकि कुछ के बाहर ‘हॉलिडे’ का बोर्ड लटका मिला।


जनता पर असर और सरकार की भूमिका

यह मामला केवल कानून का नहीं, बल्कि जन स्वास्थ्य और युवा पीढ़ी के भविष्य का है। अगर लाइसेंस प्राप्त फार्मा कंपनियां ही नशे की खेप में लिप्त होंगी, तो समाज को इससे बचाना लगभग असंभव हो जाएगा।

सरकार और ड्रग कंट्रोलर की नाक के नीचे यह सब कैसे चल रहा था, यह भी सवालों के घेरे में है। स्वास्थ्य विभाग, ड्रग लाइसेंसिंग अथॉरिटी और फार्मा निरीक्षकों की भूमिका की भी जांच होनी  चाहिए 

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