औषधि नियमन को लेकर देहरादून में राज्यस्तरीय कार्यशाला, सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार बोले- “हर दवा होनी चाहिए सुरक्षित और प्रभावी”

औषधि नियमन को लेकर देहरादून में राज्यस्तरीय कार्यशाला, सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार बोले- “हर दवा होनी चाहिए सुरक्षित और प्रभावी”

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देहरादून। राजधानी देहरादून स्थित खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) कार्यालय में शनिवार को औषधि नियमन प्रणाली को तकनीकी रूप से सुदृढ़ करने और अधिकारियों की क्षमता निर्माण हेतु एक दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन ड्रग कंट्रोल ऑफिसर्स (आई) वेलफेयर एसोसिएशन और डीसीजीआई (आईडब्ल्यूयू) उत्तराखंड चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तराखंड शासन के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव और एफडीए आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “दवाओं की गुणवत्ता सिर्फ स्वास्थ्य से ही नहीं, बल्कि जनता के सामाजिक विश्वास से भी जुड़ी है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि बाजार में उपलब्ध हर दवा सुरक्षित, प्रभावी और वैज्ञानिक मानकों पर खरी उतरे।”

डॉ. कुमार ने कहा कि नियामक अधिकारियों को निरंतर प्रशिक्षण और तकनीकी रूप से सशक्त करना इस दिशा में अत्यंत आवश्यक कदम है।

कार्यक्रम में अतिरिक्त आयुक्त (खाद्य एवं औषधि) ताजबर सिंह जग्गी, पूर्व एफडीए नियंत्रक (हरियाणा) एन.के. आहूजा, डीसीजीआई (आईडब्ल्यूयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कोठेवर राव, महासचिव बलेन्द्र चौधरी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी और उद्योग प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

तकनीकी अपडेट आवश्यक – कोठेवर राव


कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डीसीजीआई (आईडब्ल्यूयू) के अध्यक्ष कोठेवर राव ने औषधि नियमन की मौजूदा चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि नियामक अधिकारियों को तकनीकी नवाचारों और विधिक प्रावधानों के प्रति अपडेट रहना जरूरी है, ताकि वे प्रभावी निगरानी और नियंत्रण सुनिश्चित कर सकें।

व्यावहारिक ज्ञान पर जोर – एन.के. आहूजा


पूर्व एफडीए नियंत्रक एन.के. आहूजा ने जीएमपी (गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस), लेबलिंग मानकों और नमूना विश्लेषण पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने अधिकारियों को लेबलिंग से जुड़े व्यावहारिक पहलुओं की जानकारी दी।

नियमन प्रणाली को पारदर्शी बनाएंगे –ताजबर सिंह जग्गी

अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि “उत्तराखंड में औषधि नियंत्रण व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाएगा। इसके लिए विभाग, उद्योग और विशेषज्ञों के बीच निरंतर संवाद आवश्यक है।”

कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ औषधि निरीक्षक नीरज कुमार ने किया और अंत में सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला का समापन किया गया।

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