देहरादून में नकली दवाओं के लेबल छापने वाला प्रिंटिंग प्रेस मालिक गिरफ्तार, एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई
देहरादून :- उत्तराखंड में नकली दवाओं के कारोबार पर एसटीएफ की कार्रवाई लगातार जारी है। इसी क्रम में एसटीएफ ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए नकली दवाओं के आउटर बॉक्स और लेबल छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस के मालिक आदित्य काला को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित प्रेमनगर स्थित डीजी प्रिंटिंग प्रेस का संचालक है और गिरोह को फर्जी दवा पैकिंग की छपाई उपलब्ध करा रहा था।
एसटीएफ को यह सफलता तब मिली जब गिरोह के पहले से गिरफ्तार सदस्यों से पूछताछ में डीजी प्रिंटिंग प्रेस का नाम सामने आया। इसके बाद सोमवार को प्रेमनगर क्षेत्र में दबिश देकर आदित्य काला को गिरफ्तार किया गया।
शिकायतों के बाद खुला गिरोह का जाल
एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह ने बताया कि बीते माह दवा कंपनियों से लगातार नकली दवाएं बाजार में आने की शिकायतें मिल रही थीं। जांच में पता चला कि नामी ब्रांड्स के नाम पर नकली दवाएं तैयार कर बाजार में उतारी जा रही हैं। 1 जून 2025 को एसटीएफ ने संतोष कुमार नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जो नकली रैपर, लेबल और क्यूआर कोड तैयार करता था।
राजस्थान से रुड़की और यूपी तक फैला नेटवर्क
संतोष कुमार से मिले सुरागों पर कार्रवाई करते हुए एसटीएफ ने भिवाड़ी (राजस्थान) से नवीन बंसल को पकड़ा, जो नकली दवाओं के निर्माण और वितरण में लिप्त था। नवीन बंसल की निशानदेही पर रुड़की से लोकेश गुलाटी, नरेश और मोहतरम अली (देवबंद, यूपी) को गिरफ्तार किया गया।
प्रिंटिंग प्रेस बना था फर्जीवाड़े का केंद्र
पूछताछ में सामने आया कि गिरोह नकली दवाओं के बॉक्स और लेबल डीजी प्रिंटिंग प्रेस, प्रेमनगर में छपवाता था। प्रेस मालिक आदित्य काला गिरोह के संपर्क में था और जानबूझकर फर्जी दवा ब्रांड के लेबल छाप रहा था। पुलिस ने प्रेस से कई नकली प्रिंटेड मटीरियल भी जब्त किया है।
अब तक 7 गिरफ्तार, कई अभी भी फरार
एसटीएफ अब तक इस गिरोह के सरगना सहित सात लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। टीम अन्य सदस्यों की तलाश में संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। पुलिस का कहना है कि यह गिरोह विभिन्न राज्यों में फैला हुआ है और इसका नेटवर्क काफी संगठित है।
कड़ी धाराओं में केस दर्ज, जांच जारी
आरोपितों के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, IPC की गंभीर धाराओं और आपराधिक साजिश के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस यह भी पता लगा रही है कि किन-किन दवा दुकानों या थोक विक्रेताओं तक यह नकली दवाएं पहुंची थीं।