उत्तराखंड फार्मा सेक्टर को बड़ा झटका
एक ही कंपनी की 18 दवाएं फेल, कुल 46 दवाएं मानकों पर खरी नहीं
ड्रग कंट्रोलर ने कंपनियों को जारी किया नोटिस, लाइसेंस रद्द करने की तैयारी
हरिद्वार :- उत्तराखंड में फार्मा उद्योग की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मई महीने में जारी ड्रग अलर्ट रिपोर्ट में राज्य में बनी कुल 46 दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में फेल पाई गई हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन फेल हुई दवाओं में एक ही कंपनी की 18 दवाएं शामिल हैं। इससे प्रदेश के फार्मास्यूटिकल सेक्टर में हड़कंप मच गया है।
ड्रग अलर्ट के अनुसार, पूरे देश में इस महीने कुल 196 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इसमें उत्तराखंड अकेले ही 46 सैंपलों के साथ शामिल है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश में अप्रैल में 32, मार्च में 38 और जनवरी में 28 सैंपल फेल हुए थे।
तीन जिलों से फेल हुए सैंपल
ड्रग विभाग की जांच में जिन जिलों से सबसे अधिक दवाएं फेल हुई हैं, वे इस प्रकार हैं:
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हरिद्वार जिले में बनीं 19 दवाएं
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उधमसिंह नगर से 18 दवाएं
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देहरादून जिले से 9 दवाएं
इनमें से कुछ कंपनियों के सैंपल पूर्व में भी फेल हो चुके हैं, जिससे ये संकेत मिलते हैं कि उत्पादन में लगातार लापरवाही बरती जा रही है।
ड्रग कंट्रोलर का बयान
राज्य के ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह ने बताया कि सभी दोषी कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यदि कंपनियों की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे।
“हम किसी भी स्थिति में दवाओं की गुणवत्ता से समझौता नहीं करेंगे। मरीजों की जान से खेलने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।”
– ताजबर सिंह, ड्रग कंट्रोलर, उत्तराखंड
बढ़ती चिंता
उत्तराखंड देश की फार्मा इंडस्ट्री में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां से बड़ी मात्रा में दवाएं विदेशों को भी निर्यात की जाती हैं। ऐसे में एक साथ 46 सैंपलों का फेल होना प्रदेश की फार्मा छवि पर गहरा असर डाल सकता है।
कड़ी कार्रवाई के संकेत
ड्रग विभाग इन कंपनियों की उत्पादन इकाइयों की गहन जांच करेगा। आवश्यक हुआ तो इनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जा सकते हैं। विभाग ने साफ कर दिया है कि दोबारा ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यह उत्तराखंड के फार्मा सेक्टर के लिए गंभीर चेतावनी है। अब देखना होगा कि संबंधित विभाग इस पर कितनी तेजी से और कितनी कठोरता से कार्रवाई करता है ताकि भविष्य में ऐस पुनरावृत्ति न हो।