उत्तराखंड में एफडीए अलर्ट: खांसी की दवाओं पर सख्त निगरानी, नमूनों की जांच शुरू
देहरादून। मध्य प्रदेश और राजस्थान में खांसी की दवा पीने से बच्चों की मौत की दुखद घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इन घटनाओं के बाद अब उत्तराखंड का औषधि विभाग (एफडीए) पूरी तरह अलर्ट मोड में आ गया है। प्रदेश औषधि नियंत्रक ने आदेश जारी करते हुए राज्यभर के सरकारी अस्पतालों, निजी फार्मेसियों और मेडिकल स्टोर्स से खांसी और सर्दी की दवाओं के तत्काल सैंपल एकत्र करने और उनकी जांच करने के निर्देश दिए हैं।
बच्चों की सुरक्षा पर सरकार गंभीर
औषधि नियंत्रक कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, बच्चों और मरीजों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। यही कारण है कि किसी भी संदिग्ध दवा को तुरंत पहचानकर बाजार से हटाने की तैयारी की जा रही है। विभाग ने साफ किया है कि अगर किसी ब्रांड की दवा में थोड़ी भी गड़बड़ी पाई गई तो निर्माता और सप्लाई चेन से जुड़े सभी लोगों पर कठोर कार्रवाई होगी।
राजस्थान और मध्य प्रदेश की घटनाओं से सबक
गौरतलब है कि पिछले दिनों राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की तबीयत बिगड़ने और मौत की घटनाएं सामने आई थीं, जिनका सीधा संबंध एक कफ सिरप से बताया जा रहा है। preliminary रिपोर्ट में दवा में संदूषण (contamination) की आशंका जताई गई है। यही वजह है कि उत्तराखंड समेत कई राज्यों ने सतर्कता बढ़ा दी है।
सभी अस्पतालों से लिए जाएंगे सैंपल
प्रदेश के औषधि नियंत्रक ने कहा है कि अब राज्य के सभी जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी मेडिकल स्टोरों में उपलब्ध खांसी की दवाओं के नमूने लिए जाएंगे। साथ ही निजी मेडिकल स्टोर्स और बड़ी दवा दुकानों पर भी विशेष निरीक्षण शुरू कर दिया गया है। जांच पूरी होने तक संदिग्ध दवाओं की बिक्री और वितरण पर रोक लगाने की भी तैयारी है।
आम जनता से अपील
स्वास्थ्य विभाग ने जनता से अपील की है कि वे सिर्फ विश्वसनीय और प्रमाणित दवा दुकानों से ही दवा खरीदें। यदि किसी दवा के सेवन के बाद मरीज में उल्टी, चक्कर, बेहोशी या अन्य असामान्य लक्षण दिखाई दें तो तुरंत नजदीकी अस्पताल में संपर्क करें। साथ ही संदिग्ध दवा की सूचना जिला औषधि नियंत्रक कार्यालय को देने की भी अपील की गई है।
दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
एफडीए अधिकारियों ने साफ किया है कि यदि जांच में किसी कंपनी की दवा असुरक्षित पाई गई तो उस पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाएगा। संबंधित कंपनी और उसके अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा। विभाग ने कहा कि यह कार्रवाई केवल एक औपचारिकता नहीं होगी, बल्कि बच्चों और आम जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उदाहरण पेश करने जैसी होगी।
राज्य सरकार की कड़ी निगरानी
मुख्यमंत्री स्तर से भी इस मामले पर लगातार नजर रखी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि दवा सैंपलिंग और रिपोर्टिंग की पूरी प्रक्रिया समयबद्ध और पारदर्शी ढंग से हो। सरकार नहीं चाहती कि राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसी त्रासदी यहां दोहराई जाए।
फार्मा कंपनियों पर दबाव
उत्तराखंड में दवा निर्माण इकाइयों की बड़ी संख्या है। ऐसे में एफडीए का यह कदम राज्य की फार्मा इंडस्ट्री पर भी दबाव बढ़ा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कार्रवाई उन निर्माताओं के लिए सबक है जो गुणवत्ता मानकों की अनदेखी कर बाजार में दवाएं उतारते हैं।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की जान लेने वाली घटनाओं ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। उत्तराखंड सरकार और एफडीए का यह सख्त कदम साफ करता है कि अब दवा सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट तय करेगी कि राज्य के बाजार में उपलब्ध कौन सी दवाएं सुरक्षित हैं और कौन सी जनता की सेहत के लिए खतरा।