उत्तराखंड की ओर से ‘आयुष प्रदेश’ बनने की दिशा में निर्णायक पह
आयुर्वेदिक विरासत को नई ऊर्जा देने के प्रयास, सचिव दीपेन्द्र चौधरी का ऐतिहासिक निरीक्षण
हरिद्वार/ उत्तराखंड सरकार ने ‘आयुष प्रदेश’ के रूप में राज्य को स्थापित करने की दिशा में निर्णायक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में यह पहल आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (AYUSH) सेवाओं के व्यापक विकास का मार्ग प्रशस्त कर रही है। इसी क्रम में आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग के नव नियुक्त सचिव श्री दीपेन्द्र चौधरी (IAS) ने हरिद्वार स्थित उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल और गुरुकुल परिसरों का व्यापक निरीक्षण किया।
आयुर्वेद की ऐतिहासिक धरोहरों को मिलेगा नया आयाम
1919 में पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित ऋषिकुल और 1921 में स्वामी श्रद्धानंद द्वारा स्थापित गुरुकुल आयुर्वेदिक शिक्षा के स्तंभ रहे हैं। सचिव ने इन परिसरों का गहन निरीक्षण कर इन्हें विश्व स्तरीय संस्थान बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया। कुलसचिव श्री रामजी शरण शर्मा के साथ संयुक्त निरीक्षण में वर्षों से लंबित समस्याओं की पड़ताल कर शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया गया।
समस्याओं की जमीनी पड़ताल, समाधान का भरोसा
निरीक्षण के दौरान शिक्षकों और कर्मचारियों से सीधे संवाद में वेतन भुगतान, प्रमोशन, एरियर सहित अनेक मुद्दों पर चर्चा हुई। सचिव ने इन्हें प्राथमिकता से निपटाने का भरोसा दिलाया।
MSR मानकों पर विशेष जोर
राष्ट्रीय आयुष चिकित्सा आयोग (NCISM) के मानकों के तहत स्टाफिंग, उपकरण, स्वच्छता, दवा आपूर्ति, प्रयोगशाला उन्नयन, और प्रशासनिक दक्षता पर विशेष दिशा-निर्देश दिए गए। सचिव ने परिसर में अनुशासन, स्वच्छता, पारदर्शी प्रवेश एवं परीक्षा प्रणाली लागू करने पर भी बल दिया।
वैलनेस टूरिज्म और फार्मेसी क्षेत्र में अवसरों की तलाश
सचिव ने पंचकर्म विभाग की क्षमता को देखते हुए उत्तराखंड को केरल की तर्ज पर वैश्विक वैलनेस टूरिज्म केंद्र बनाने की बात कही। साथ ही, फार्मास्युटिकल स्टार्टअप्स, जड़ी-बूटी उद्योगों और फार्मेसी लैब के आधुनिकीकरण के लिए तकनीकी दिशा-निर्देश जारी किए गए।
आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने की योजना
सचिव ने स्कूली जागरुकता कार्यक्रम, योग कैंप, महिलाओं व वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य शिविर, और जनोपयोगी कार्यक्रमों के माध्यम से आयुर्वेद को आम जनजीवन से जोड़ने पर विशेष बल दिया।
संस्थानों का पुनरुद्धार और भविष्य की दिशा
भारत सरकार के पांच आयुष लक्ष्यों – गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शोध, प्रभावी औषधि निर्माण, औषधीय पौधों का संरक्षण और जन-जागरूकता – को धरातल पर लागू करने का रोडमैप तैयार किया गया है। सचिव ने इन लक्ष्यों को गांव-गांव तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता भी जताई।