कैपटैब बायोटेक पर बड़ी कार्रवाई: घटिया दवा सप्लाई के आरोप में पंजाब सरकार ने तीन साल के लिए टेंडर प्रक्रिया से किया बाहर

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कैपटैब बायोटेक पर बड़ी कार्रवाई: घटिया दवा सप्लाई के आरोप में पंजाब सरकार ने तीन साल के लिए टेंडर प्रक्रिया से किया बाहर

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चंडीगढ़,  पंजाब सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता से कोई समझौता न करने के अपने रुख को दोहराते हुए हिमाचल प्रदेश की दवा निर्माता कंपनी कैपटैब बायोटेक, सोलन पर सख्त कार्रवाई की है। कंपनी को पंजाब हेल्थ सिस्टम कॉरपोरेशन (PHSC) को गैर-मानक गुणवत्ता वाली आईवी फ्लूइड (सामान्य खारा) सप्लाई करने का दोषी पाए जाने के बाद तीन साल के लिए सभी सरकारी टेंडरों से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने गुरुवार को पंजाब भवन, चंडीगढ़ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी। उन्होंने कहा कि मरीजों को सुरक्षित और प्रभावी दवा उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस दिशा में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

क्या है मामला?

डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि कैपटैब बायोटेक द्वारा सप्लाई की गई सामान्य खारा (IV Fluid – Normal Saline) की गुणवत्ता परीक्षण में कमी पाई गई। प्रयोगशाला रिपोर्ट में इसे गैर-मानक (substandard) घोषित किया गया, जो मरीजों की सेहत के लिए खतरा बन सकता था।

उठाए गए कदम:

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि PHSC की रिपोर्ट और तकनीकी जांच के बाद कैपटैब बायोटेक के खिलाफ निम्नलिखित कार्रवाई की गई है:

  1. तीन साल के लिए टेंडर में भाग लेने पर प्रतिबंध:
    अब यह फर्म 2028 तक पंजाब सरकार की किसी भी दवा खरीद प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकेगी।

  2. सभी सप्लाई अनुबंध रद्द:
    कंपनी द्वारा पहले से सप्लाई की जा रही 11 दवाओं के अनुबंध को तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया गया है।

  3. सिक्योरिटी राशि जब्त:
    फर्म द्वारा जमा की गई ₹3.30 लाख की सुरक्षा राशि जब्त कर ली गई है।

  4. लंबित भुगतान रोके गए:
    कैपटैब बायोटेक को किया जाने वाला कोई भी भुगतान अब निलंबित रहेगा।

मंत्री का बयान:

“हम किसी भी कीमत पर लोगों की सेहत से खिलवाड़ नहीं होने देंगे। गुणवत्ता से समझौता करने वाली किसी भी दवा कंपनी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी,”
— डॉ. बलबीर सिंह, स्वास्थ्य मंत्री, पंजाब

भविष्य की दिशा:

स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि सभी दवा आपूर्तिकर्ताओं के उत्पादों की गुणवत्ता जांच को और कड़ा किया जाएगा। साथ ही, हर दवा की बैचवार सैंपलिंग और टेस्टिंग अनिवार्य रूप से होगी ताकि मरीजों को केवल सुरक्षित और असरदार दवाएं ही मिलें।

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