Saturday

July 19, 2025 Vol 20

श्री शिव महापुराण कथा का अष्टम दिवस: भस्म की महिमा और सामाजिक समरसता का संदेश

श्री शिव महापुराण कथा का अष्टम दिवस: भस्म की महिमा और सामाजिक समरसता का संदेश

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 हरिद्वार।  हरिद्वार स्थित रोशनाबाद जिला कारागार में श्री अखंड परशुराम अखाड़ा द्वारा आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के अष्टम दिवस पर अध्यात्म, भक्ति और सामाजिक समरसता का संगम देखने को मिला। यह आयोजन पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए निरपराध श्रद्धालुओं की आत्मा की शांति हेतु समर्पित किया गया है।

कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने इस अवसर पर भस्म की महिमा का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कहा कि –

“भस्म औघड़दानी शिव का अत्यंत प्रिय तत्व है, जिसे देव, योगी, सिद्ध और साधक सभी धारण करते हैं। शिवपुराण में वर्णित है कि पवित्रतापूर्वक भस्म धारण करने से पापों का नाश होता है, आत्मबल और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यहां तक कि मृत्यु के समय भी यह आनंद की अनुभूति कराती है।”

उन्होंने श्रौत और स्मार्त भस्म की परिभाषा बताते हुए कहा कि यज्ञ से उत्पन्न भस्म को ही धारण करना श्रेयस्कर है।

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इस मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा –

“सत्य ही शिव है और संपूर्ण सृष्टि शिवस्वरूप है। इसलिए जात-पात से ऊपर उठकर प्रत्येक व्यक्ति को सभी में शिवतत्व को देख प्रेम और एकता के साथ रहना चाहिए।”

राष्ट्रीय प्रवक्ता पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने अखाड़े के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा –

“हमारा संकल्प है – समाज से जातीय भेदभाव को मिटाना और सभी को सनातन मूल्यों के आधार पर जोड़ना। इसी उद्देश्य से नियमित धार्मिक सत्संग आयोजित किए जाते हैं।”

जेल अधीक्षक मनोज आर्या ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा –

“जेल में विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमियों के लोग आते हैं, लेकिन ऐसे आयोजनों से उनके भीतर समरसता और आत्मिक शांति का भाव उत्पन्न होता है।”

इस अवसर पर श्री नारायण सेवा समिति के राष्ट्रीय अभिषेक अहलूवालिया, डॉ. राकेश चंद्र गैरोला, चंद्रकांत शर्मा, अंजित कुमार, कुलदीप शर्मा, मनोज ठाकुर, बृजमोहन शर्मा, सत्यम शर्मा, जलज कौशिक, पंडित विष्णु शास्त्री, पंडित संजय शास्त्री सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे और शिव पूजन में भाग लिया।

कथा के अंत में शिव महापुराण का विधिवत पूजन और भस्म आरती की गई, जिसमें बंदियों ने भी भाग लिया और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।


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