सरकारी सुविधा पर निजी अस्पतालों का कब्जा! आयुष्मान भारत योजना में बड़ा खुलासा — महंगा इलाज, मोटा मुनाफा!

सरकारी सुविधा पर निजी अस्पतालों का कब्जा! आयुष्मान भारत योजना में बड़ा खुलासा — महंगा इलाज, मोटा मुनाफा!

नई दिल्ली। देशभर में गरीबों और जरूरतमंदों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज देने के लिए शुरू की गई केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी “आयुष्मान भारत योजना” अब सवालों के घेरे में है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) की ताज़ा वार्षिक रिपोर्ट ने चौकाने वाला खुलासा किया है —
ज्यादातर मरीज सरकारी अस्पतालों की बजाय निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं, और इन प्राइवेट अस्पतालों को योजना की कुल रकम का सबसे बड़ा हिस्सा मिल रहा है!


9 करोड़ इलाज — पर आधे से ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों में!

रिपोर्ट के मुताबिक,
➡️ योजना के तहत अब तक 9.19 करोड़ से ज्यादा इलाज कराए गए।
➡️ इनमें से 52% इलाज प्राइवेट अस्पतालों में हुए।
➡️ कुल खर्च का दो-तिहाई हिस्सा निजी अस्पतालों की जेब में गया!

जबकि योजना में पैनल पर 31,005 अस्पताल शामिल हैं, जिनमें
सिर्फ 45% निजी और 55% सरकारी अस्पताल हैं।
इसके बावजूद प्राइवेट सेक्टर इलाज के मामलों और खर्च दोनों में आगे है।


सबसे ज्यादा इलाज किडनी फेल्योर के मरीजों का

रिपोर्ट बताती है कि योजना में सबसे ज्यादा इलाज हेमोडायलिसिस (किडनी फेल्योर) के मरीजों का हुआ —
👉 कुल इलाजों में 14% सिर्फ डायलिसिस के मामले हैं।
👉 जबकि बुखार, पेट की बीमारी (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) और जानवर के काटने जैसी सामान्य बीमारियों के केस भी बड़ी संख्या में शामिल हैं।
👉 साल 2024-25 में जनरल मेडिसिन, नेत्र चिकित्सा और सामान्य सर्जरी विभागों में सबसे ज्यादा इलाज दर्ज किए गए।


महंगा इलाज, ज्यादा कमाई

सरकारी अस्पतालों में इलाज का खर्च कम होने के बावजूद,
लोग प्राइवेट अस्पतालों में कैशलेस इलाज को प्राथमिकता दे रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक,

“निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत तय दरों पर भी कई बार अतिरिक्त सेवाओं के नाम पर बिल बढ़ा लेते हैं।
इससे योजना का असली फायदा गरीबों से ज्यादा निजी संस्थानों को हो रहा है।”


इलाज के लिए राज्य पार कर रहे मरीज

रिपोर्ट में चौंकाने वाला रुझान सामने आया है —
कई राज्य के मरीज इलाज के लिए दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं।

➡️ सबसे ज्यादा मरीज चंडीगढ़ (19%) में इलाज कराने पहुंचे।
➡️ इसके बाद उत्तर प्रदेश (13%), गुजरात (11%), उत्तराखंड (8%) और पंजाब (8%) का स्थान है।

इससे साफ है कि मरीज जहां बेहतर सुविधा मिलती है, वहीं जा रहे हैं —
चाहे वो सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट।


1.29 लाख करोड़ रुपये का खर्च — पर कौन उठा रहा लाभ?

साल 2018 से अब तक आयुष्मान भारत योजना पर
1.29 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च हो चुका है।
लेकिन इसमें से ज्यादातर धन निजी अस्पतालों के खातों में गया है।
सरकारी अस्पतालों की तुलना में
प्राइवेट संस्थान न केवल ज्यादा इलाज कर रहे हैं,
बल्कि महंगे इलाज का बड़ा हिस्सा भी उन्हीं के पास जा रहा है।


चेतावनी — गरीबों की योजना बन रही निजी कारोबार का जरिया!

आयुष्मान भारत योजना का उद्देश्य गरीबों को इलाज की गारंटी देना था,
लेकिन रिपोर्ट ने दिखाया है कि यह योजना अब
“गरीबों के लिए राहत” से ज्यादा “प्राइवेट अस्पतालों के लिए राहत पैकेज” बनती जा रही है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को
अब सरकारी अस्पतालों की सेवाएं और सुविधाएं मजबूत करनी होंगी,
ताकि मरीजों को महंगे निजी इलाज पर निर्भर न रहना पड़े।


 सवाल अब ये है:
क्या आयुष्मान भारत योजना वाकई जनता के हित में है?
या फिर यह योजना सरकारी फंड पर निजी अस्पतालों की कमाई का जरिया बन चुकी है?


 

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