सरकारी दवा बनी खतरा: बच्चा व डॉक्टर दोनों अस्पताल में भर्ती, प्रशासन में हड़कंप
कफ सीरप से मचा हड़कंप: मासूम और डॉक्टर की बिगड़ी तबीयत, बैच पर लगी रोक
बयाना (भरतपुर), – भरतपुर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को हिला कर रख दिया है। मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत मरीजों को दी जा रही कफ सीरप पीने के बाद 3 साल के मासूम की तबीयत अचानक बिगड़ गई। मामला यहीं नहीं रुका – परिजनों की शिकायत पर जब डॉक्टर ने खुद वही सीरप पीकर ट्राई की, तो उनकी भी हालत खराब हो गई। अब बच्चा और डॉक्टर दोनों जयपुर के अस्पतालों में जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं।
कैसे बिगड़ी मासूम की हालत
कलसाड़ा निवासी गगन (3) को 25 सितम्बर को तबीयत खराब होने पर परिजन सीएचसी कलसाड़ा लेकर पहुंचे। डॉक्टर ताराचंद योगी ने दवाइयों के साथ डेक्सट्रोमेथोरफेन हाइड्रोब्रोमाइड सॉल्ट वाली कफ सीरप दी। परिजनों का आरोप है कि सीरप पीते ही बच्चे की धड़कन तेज हो गई, बेहोशी छा गई और हालत नाजुक बन गई। आनन-फानन में उसे महवा (दौसा) और फिर जयपुर के जे.के. लोन अस्पताल रेफर किया गया। हालत इतनी गंभीर रही कि बच्चे को वेंटिलेटर पर लेना पड़ा। फिलहाल गगन का इलाज वहीं चल रहा है।
डॉक्टर और स्टाफ ने खुद पी दवा – हालत बिगड़ी
परिजनों की शिकायत के बाद 26 सितम्बर की सुबह सीएचसी प्रभारी डॉ. ताराचंद योगी ने सीरप खुद पीकर देखी। कुछ ही देर में उनकी तबीयत बिगड़ गई। यही नहीं, 108 एंबुलेंस ड्राइवर राजेंद्र शुक्ला और 104 एंबुलेंस ड्राइवर बदन सिंह ने भी सीरप ट्राई की और उन्हें चक्कर आने लगे।
डॉ. योगी की हालत इतनी बिगड़ी कि भरतपुर जाते समय रास्ते में गाड़ी रोककर 8 घंटे तक बेसुध पड़े रहे। बाद में पुलिस और स्टाफ ने लोकेशन ट्रेस कर उन्हें निकाला और अस्पताल पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप
जैसे ही मामला सामने आया, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई। ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. धर्मेंद्र चौधरी ने बताया कि डेक्सट्रोमेथोरफेन हाइड्रोब्रोमाइड सॉल्ट वाली सीरप के एक बैच में समस्या होने की आशंका है। एहतियातन उस बैच की सप्लाई और वितरण पूरे जिले के सरकारी अस्पतालों में तुरंत रोक दी गई है।
बड़ा सवाल – मासूमों की सेहत से खिलवाड़ क्यों?
यह मामला दवा आपूर्ति की गुणवत्ता और निगरानी पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। जिस सीरप को मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत मरीजों को भरोसे के साथ दिया जाना चाहिए, वही बच्चों और डॉक्टरों की जिंदगी पर भारी पड़ गई।
फिलहाल जांच जारी है, लेकिन घटना ने लोगों के मन में गहरी चिंता पैदा कर दी है। गांव-गांव तक पहुंचने वाली सरकारी दवाओं पर उठे सवालों का जवाब देना अब स्वास्थ्य विभाग के लिए आसान नहीं होगा।
👉 नतीजा साफ है – भरतपुर का यह कफ सीरप कांड सिर्फ एक बच्चे और डॉक्टर की बीमारी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए चेतावनी है।