राधा स्वामी सत्संग ब्यास पर पर्यावरण उल्लंघन के आरोप, एनजीटी की निगरानी में जांच शुरू
शिमला। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में राधा स्वामी सत्संग ब्यास (RSSB) पर अवैध विस्तार और पर्यावरणीय कानूनों के उल्लंघन के गंभीर आरोपों के बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने मामले में सख्त रुख अपनाया है। एनजीटी ने एक संयुक्त जांच समिति गठित की है, जो दो महीने के भीतर पूरी रिपोर्ट पेश करेगी।
एनजीटी की प्रधान पीठ — न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और डॉ. अफरोज अहमद — ने कांगड़ा ज़िले की घनेटा ग्राम पंचायत प्रधान सीमा कुमारी और स्थानीय निवासियों की शिकायत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की।
आरोप
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास द्वारा
- अवैध रूप से पेड़ों की कटाई,
- फ्लड प्लेन में निर्माण,
- प्राकृतिक जलधाराओं व सिंचाई चैनलों को बाधित करना,
- और भूमि का अनधिकृत अधिग्रहण किया जा रहा है।
इन गतिविधियों से क्षेत्र का पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है, जैव विविधता को नुकसान पहुंच रहा है, और स्थानीय किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है।
किन कानूनों का उल्लंघन बताया गया
याचिका में इन प्रमुख पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन का हवाला दिया गया है —
- जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974
- वायु अधिनियम, 1981
- वन संरक्षण अधिनियम, 1980
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
- जैव विविधता अधिनियम, 2002
- एनजीटी अधिनियम, 2010
जांच समिति का गठन
एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HPPCB) और कांगड़ा के जिला मजिस्ट्रेट को शामिल करते हुए तीन सदस्यीय संयुक्त समिति बनाई है।
समिति दो सप्ताह में बैठक कर साइट निरीक्षण, शिकायतों की जांच और दोनों पक्षों — ग्रामीणों व संगठन — से बातचीत करेगी।
एचपीपीसीबी को नोडल एजेंसी बनाया गया है, जो जांच समन्वय और रिपोर्ट प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी संभालेगा।
अगली सुनवाई 18 दिसंबर को
एनजीटी ने स्पष्ट किया कि यह मामला “पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न” उठाता है। समिति को दो महीने में रिपोर्ट पेश करनी होगी और मामला अब 18 दिसंबर, 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
स्थानीय लोगों ने एनजीटी के इस कदम का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के लिए ठोस कार्रवाई होगी।