
पीसीआई की सख्ती: निरीक्षकों पर गिरी गाज, दिशा-निर्देशों की अवहेलना पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
देशभर के फार्मेसी संस्थानों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने निरीक्षकों और संस्थानों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नियमों की अनदेखी करने पर अब कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
DIGI-PHARMed पोर्टल की सख्त निगरानी
पीसीआई ने हाल ही में निर्देश दिए हैं कि निरीक्षण के दौरान संस्थानों को DIGI-PHARMed पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों और संकाय विवरणों का सटीक मिलान करना होगा। निरीक्षकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि संकाय सदस्यों की तस्वीरें क्यूआर कोड जनरेटेड स्मार्ट कार्ड के साथ अपलोड की जाएं। अगर संस्थान यह व्यवस्था करने में विफल रहते हैं, तो निरीक्षण की लागत उन्हें ही वहन करनी पड़ेगी।
कदाचार पर कड़ी सज़ा
पीसीआई ने पाया कि कुछ निरीक्षक ऐसे संस्थानों को भी मंजूरी की सिफारिश कर रहे हैं, जो मानकों पर खरे नहीं उतरते। इस पर सख्ती दिखाते हुए परिषद ने साफ कर दिया है कि निरीक्षक सिर्फ उन सुविधाओं पर टिप्पणी कर सकते हैं, जो संस्थान ने दावा की हैं। दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर न केवल निरीक्षकों के यात्रा भत्ते (टीए/डीए) के दावों को खारिज किया जाएगा, बल्कि उनकी DIGI-PHARMed प्रोफाइल को भी ब्लॉक कर दिया जाएगा। इसके अलावा, कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
फर्जी संकाय पर कड़ी नजर
निरीक्षकों को संकाय और प्रिंसिपल की वास्तविकता जांचने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। इसमें उनकी शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और वेतन की जांच शामिल है। अगर कोई संस्थान फर्जी प्रिंसिपल या संकाय दिखाने का दोषी पाया गया, तो न सिर्फ उस संस्थान पर कार्रवाई होगी, बल्कि संबंधित निरीक्षक के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जा सकती है। दोषी निरीक्षकों को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट करने की चेतावनी दी गई है।
आधार-आधारित उपस्थिति प्रणाली
फार्मेसी संस्थानों में अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए पीसीआई ने आधार सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (AE-BAS) को लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति सीधे ऑनलाइन दर्ज की जाएगी, जिससे गड़बड़ियों की संभावना खत्म हो सके। जिन संस्थानों ने AE-BAS लागू नहीं किया है, उनका अनुमोदन आगामी सत्र के लिए रोक दिया जाएगा।
पीसीआई की इस सख्ती से साफ है कि अब फार्मेसी शिक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही या अनियमितता के लिए कोई जगह नहीं है। परिषद का यह कदम फार्मेसी शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।