
ओटीसी दवाओं की नई राह: भारत में स्वास्थ्य सुविधा की ओर एक अहम कदम
भारत में जल्द ही दवा खरीदने के तरीके में बड़ा बदलाव आने वाला है। डॉक्टर के पर्चे (Rx) से मिलने वाली कुछ दवाएं अब सीधे मेडिकल स्टोर या जनरल स्टोर पर बिना डॉक्टर की पर्ची के भी उपलब्ध हो सकती हैं — यानी ये दवाएं ओवर-द-काउंटर (OTC) श्रेणी में आ जाएंगी।
क्या है पूरा मामला?
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने मई में एक उप-समिति बनाई थी, जिसका काम था यह तय करना कि कौन-सी दवाएं OTC की श्रेणी में रखी जा सकती हैं। इस आठ सदस्यीय समिति की अध्यक्षता लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के निदेशक और मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. अनुपम प्रकाश कर रहे हैं।
डॉ. प्रकाश के मुताबिक, ओटीसी सूची तैयार करने के दौरान “सार्वजनिक सुरक्षा” और “दवा खरीदने की सुविधा” जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का खास ध्यान रखा गया है। उन्होंने बताया कि इस चयन का आधार उन बीमारियों पर केंद्रित था, जहां मरीज को तुरंत राहत की जरूरत होती है और इसके लिए डॉक्टर के पास जाना अनिवार्य नहीं होता।

सुरक्षा सबसे अहम
हालांकि, सभी प्रिस्क्रिप्शन दवाओं को OTC बनाना मुमकिन नहीं है। जैसे उच्च रक्तचाप की दवाएं — इनका गलत इस्तेमाल गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। इसलिए, ऐसी दवाओं को सूची में शामिल नहीं किया गया है।
प्रक्रिया और अगला कदम
OTC सूची को अंतिम रूप देकर अगले दो हफ्तों में इसे स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) इसकी समीक्षा करेगा और फिर यह सूची ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के पास जाएगी। अंतिम मंजूरी के बाद केंद्र सरकार इसे राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से लागू करेगी।
क्या होगा असर?
इस पहल से आम जनता को हल्की-फुल्की बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होगी, जिससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी। साथ ही, मेडिकल स्टोर पर जरूरी दवाएं आसानी से उपलब्ध हो सकेंगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।
भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक कदम होगा, जो जनता की स्वास्थ्य तक पहुंच को आसान बनाएगा और दवा वितरण प्रणाली में एक नई दिशा प्रदान करेगा।