नकली दवाइयों का  खुलासा: सेहत से खिलवाड़, बाजार में बिक रही खतरनाक दवाएँ

नकली दवाइयों का  खुलासा: सेहत से खिलवाड़, बाजार में बिक रही खतरनाक दवाएँ

दिल्ली :-  देश में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ का एक बड़ा मामला सामने आया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की लैब से मिली ताजा रिपोर्ट ने दवा उद्योग की हकीकत उजागर कर दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कई लोकप्रिय दवाइयों के सैंपल स्प्यूरियस यानी नकली और संदिग्ध पाए गए हैं।

जांच में सामने आईं तीन संदिग्ध दवाइयाँ

जांच में जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उनमें दो पेट की बीमारियों में दी जाने वाली और एक गंभीर बीमारी में इस्तेमाल की जाने वाली दवा शामिल है।

1. PAN-D (Pantoprazole + Domperidone Capsules) – यह दवा आमतौर पर गैस, एसिडिटी और उल्टी की समस्या में दी जाती है। लेकिन इसके एक बैच को नकली पाया गया है। यह दवा सितम्बर 2023 में बनी और अगस्त 2025 तक एक्सपायर होनी थी।

2. PAN-40 (Pantoprazole Tablets) – यह दवा भी पेट और एसिडिटी की समस्या में दी जाती है। मार्च 2024 में बनी और अगस्त 2026 तक एक्सपायर होने वाली इस दवा पर भी अब सवाल उठ गए हैं।

3. Diazepam Injection I.P. – यह दवा मानसिक और न्यूरोलॉजिकल रोगों के लिए प्रयोग की जाती है। मार्च 2024 में तैयार और फरवरी 2026 तक उपयोग की जाने वाली इस दवा का सैंपल भी फेल पाया गया।

 

इन तीनों दवाइयों के निर्माता और निर्माण स्थल की जानकारी फिलहाल “Under Investigation” है। यानी असली कंपनी का नाम छुपाया गया या फर्जी नाम से उत्पादन किया गया है।

क्यों खतरनाक हैं नकली दवाइयाँ?

नकली या स्प्यूरियस दवाइयाँ असली नाम और पैकिंग की नकल करके तैयार की जाती हैं। इनमें –

असली दवा की जगह घटिया या गलत केमिकल भरे जाते हैं।

कई बार पूरी दवा ही बदल दी जाती है।

दवा का असर न होकर नुकसान हो सकता है।

ऐसी दवाइयाँ मरीजों की जान तक ले सकती हैं। यही कारण है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 17-B में नकली दवाइयों को गंभीर अपराध माना गया है।

सरकार की सख्ती और जांच

सभी संदिग्ध दवाइयाँ बिहार से रिपोर्ट हुई हैं। अब स्वास्थ्य विभाग और ड्रग्स इंस्पेक्टर इनकी गहराई से जांच कर रहे हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।

आम जनता को चेतावनी

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को सतर्क रहना होगा।

दवा खरीदते समय पैकेट और स्ट्रिप पर बैच नंबर, निर्माण और एक्सपायरी डेट ज़रूर देखें।

शक होने पर तुरंत ड्रग्स इंस्पेक्टर या स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दें।

डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा हमेशा लाइसेंसधारी मेडिकल स्टोर से ही लें।

नकली दवाइयाँ केवल कानून तोड़ने का मामला नहीं, बल्कि सीधे-सीधे लोगों की जिंदगी से खेलने जैसा है। यह खुलासा दिखाता है कि दवा बाजार में अब भी कई खामियां हैं। सरकार की कार्रवाई से यह उम्मीद की जा रही है कि दोषियों को सख्त सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसे मामलों पर लगाम लगेगी।

👉 लोगों से अपील है कि दवाइयाँ खरीदते समय सावधानी बरतें, क्योंकि जरा-सी लापरवाही आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती है।

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