खांसी की दवा से मासूमो की मौत, सरकार में हड़कंप

खांसी की दवा से मासूमो की मौत, सरकार में हड़कंप

जयपुर/भरतपुर।  राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में बांटी जाने वाली खांसी की दवा अब बच्चों की जान ले रही है। गुरुवार को भरतपुर में महज दो साल के बच्चे की मौत हो गई। यह वही दवा है जिसे राज्य सरकार की नि:शुल्क दवा योजना के तहत गरीब और आम जनता को दिया जा रहा था। इससे पहले सीकर जिले में पांच साल के बच्चे की मौत हो चुकी है। अब सरकार ने आनन-फानन में दवा के वितरण पर रोक लगा दी है और सभी सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं।


 एक ही दवा से लगातार मौतें और बीमारियां

  • भरतपुर में गुरुवार को 2 साल के मासूम की मौत।
  • सीकर में 5 साल के बच्चे की मौत पहले ही हो चुकी थी।
  • बांसवाड़ा, सीकर और भरतपुर जिलों में अब तक 12 बच्चे बीमार
  • चौंकाने वाली बात यह है कि भरतपुर के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर और दो स्वास्थ्यकर्मी भी यही दवा पीकर बीमार पड़ गए।

दवा बनाने वाली कंपनी पर सवाल

सूत्रों के अनुसार, जिस केयसंस कंपनी ने यह खांसी की दवा बनाई और राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन (RMSC) को सप्लाई की, उसके खिलाफ गंभीर लापरवाहियों का इतिहास रहा है।

  • पिछले दो सालों में इस कंपनी के 40 दवा सैंपल फेल हो चुके हैं।
  • इसमें खांसी, जुकाम और बुखार की कई दवाएं शामिल थीं।
  • रिपोर्ट आने के बावजूद राज्य सरकार ने समय रहते इन दवाओं पर रोक नहीं लगाई।

सरकार की सफाई और कार्रवाई

मासूमों की मौत और बच्चों के बीमार होने के बाद सरकार हरकत में आई है।

  • बुधवार को ही सरकार ने इस खांसी की दवा के वितरण पर रोक लगा दी।
  • सभी जिलों से सैंपल लेकर लैब जांच के आदेश दिए गए हैं।
  • स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि जांच रिपोर्ट आने तक इस दवा का किसी भी अस्पताल या केंद्र पर वितरण नहीं होगा।

 लापरवाही से बढ़ा गुस्सा

लोगों का कहना है कि जिस कंपनी की दवाएं पहले से ही कई बार फेल हो चुकी थीं, उससे बच्चों की खांसी की दवा खरीदना और उन्हें मुफ्त योजना में बांटना, सीधी सरकारी लापरवाही है। अब सवाल यह उठ रहा है कि:

  • सरकार ने इतने अलर्ट और रिपोर्ट्स के बाद भी समय रहते रोक क्यों नहीं लगाई?
  • मासूमों की मौत के जिम्मेदारों पर सीधी कार्रवाई कब होगी?
  • दोषी कंपनी और अधिकारियों पर क्या एफआईआर दर्ज की जाएगी

खांसी की साधारण दवा अब राजस्थान में मौत का जहर बन गई है। लगातार बच्चों की मौत और दर्जनों के बीमार होने के बाद अब राज्य सरकार बैकफुट पर है। जनता गुस्से में है और मांग कर रही है कि इस लापरवाही का जिम्मा तय हो और दोषियों को सख्त सजा मिले।


 

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