कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद सीडीएससीओ की सख्ती

 

कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद सीडीएससीओ की सख्ती

छह राज्यों में शुरू हुआ जोखिम-आधारित निरीक्षण, दवा कंपनियों पर शिकंजा

नई दिल्ली,  मध्य प्रदेश और राजस्थान में दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौत की घटनाओं ने देशभर में हड़कंप मचा दिया है। इसी के मद्देनज़र केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने छह राज्यों में दवा निर्माण इकाइयों का जोखिम-आधारित निरीक्षण शुरू कर दिया है। यह कार्रवाई 3 अक्टूबर से चल रही है और इसमें 19 दवाएं, जिनमें कफ सिरप और एंटीबायोटिक शामिल हैं, जांच के दायरे में हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कहा है कि इस पहल का उद्देश्य गुणवत्ता की खामियों की पहचान करना और सुधारात्मक कदम सुझाना है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके। मंत्रालय ने इसे दवा उद्योग में कड़े अनुपालन और सुरक्षा तंत्र को मज़बूत करने का हिस्सा बताया।

विशेषज्ञों की टीम जांच में जुटी

सीडीएससीओ के साथ आईसीएमआर, एनआईवी, नीरी और एम्स-नागपुर के विशेषज्ञों की बहु-विषयक टीम मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और आसपास हुई मौतों की पड़ताल कर रही है। टीम न सिर्फ दवा के नमूनों की जांच कर रही है, बल्कि पर्यावरणीय कारकों को भी खंगाल रही है।

परीक्षणों से मिले मिश्रित नतीजे

प्रारंभिक जांच में कुछ राहत जरूर मिली। सीडीएससीओ द्वारा जाँचे गए छह और एमपीएफडीए द्वारा जाँचे गए तीन नमूनों में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) नहीं पाए गए। ये जहरीले रसायन अक्सर गुर्दे की विफलता से जुड़े होते हैं।
हालाँकि, अन्य जगहों पर संदूषण की पुष्टि हुई है, जिसने चिंता और गहरा दी है।

तमिलनाडु में सिरप पर बैन

मध्य प्रदेश सरकार के अनुरोध पर तमिलनाडु एफडीए ने कांचीपुरम स्थित श्रीसन फार्मा की बनी कोल्ड्रिफ कफ सिरप का परीक्षण किया। रिपोर्ट में पाया गया कि सिरप में डीईजी की मात्रा स्वीकार्य सीमा से अधिक है।
इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने 1 अक्टूबर से इस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और बाज़ार से तुरंत हटाने का आदेश दिया। कांचीपुरम के सुंगुवरचत्रम स्थित फैक्ट्री का निरीक्षण भी किया गया है और नए नमूने एकत्र किए गए हैं।

बढ़ती चिंताओं के बीच सख्ती

अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई महज़ औपचारिकता नहीं है, बल्कि दवा उद्योग में अनुपालन लागू करने, निगरानी बढ़ाने और जनता का भरोसा बहाल करने का प्रयास है। भारत दुनिया में जेनेरिक दवाओं का बड़ा निर्यातक है, ऐसे में इन घटनाओं ने देश की प्रतिष्ठा और बच्चों की सुरक्षा दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


 

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