
स्ववेद प्ले ग्रुप में विद्या आरंभ संस्कार: एक नई शुरुआत की ओर कदम
हरिद्वार :-हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित शिवडेल स्कूल में 24 मार्च 2025 का दिन विशेष उल्लास और आध्यात्मिकता से भरपूर था। स्ववेद प्ले ग्रुप में नन्हे-मुन्ने बच्चों के शैक्षिक जीवन की पहली सीढ़ी चढ़ाने के लिए ‘विद्या आरंभ संस्कार’ का आयोजन किया गया। वातावरण में मंत्रों की पावन ध्वनि और भक्ति भाव की सुगंध थी।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्रद्धेय स्वामी शरदपुरी जी ने दीप प्रज्वलित कर, भगवान गणेश और माँ सरस्वती को पुष्प अर्पित करके किया। उन्होंने बच्चों की जिव्हा पर शहद से पवित्र “ॐ” अंकित किया, मानो ज्ञान की मधुरता उनके जीवन का आधार बन रही हो। स्वामी जी ने ‘ॐ’ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “ॐ केवल एक शब्द नहीं, बल्कि यह सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार का प्रतीक है। इसके उच्चारण से मन शांत होता है और आत्मा को शक्ति मिलती है।”
बच्चे सजे-धजे, नई किताबों और फूलों के साथ माँ सरस्वती के चरणों में आशीर्वाद लेने पहुंचे। छोटे-छोटे हाथ जब पुष्प अर्पित कर रहे थे, तब मानो वे ज्ञान के पथ पर पहला कदम रख रहे थे। अभिभावकों की आँखों में गर्व और आशा के मिश्रित भाव थे, और शिक्षकगण बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना कर रहे थे।
प्रधानाचार्य अरविंद बंसल ने अपने संबोधन में कहा, “विद्या आरंभ संस्कार केवल शिक्षा की शुरुआत नहीं, बल्कि बच्चों के भीतर ज्ञान की लौ प्रज्वलित करने का एक पावन प्रयास है। इस संस्कार के माध्यम से हम बच्चों में संस्कारों की नींव रखते हैं, जो आगे चलकर उनके चरित्र निर्माण में सहायक होगी।”
इस अवसर पर विद्यालय के अन्य शिक्षकगण, विपिन मलिक, विनीत मिश्रा और स्वामी केशवानंद जी भी उपस्थित रहे। उन्होंने बच्चों को आशीर्वाद दिया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
कार्यक्रम के अंत में बच्चों को प्रसाद वितरण किया गया। उनके चेहरों पर मुस्कान थी और आँखों में एक नई यात्रा की चमक। यह संस्कार उनके जीवन में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करने के साथ-साथ उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भर गया।
स्ववेद प्ले ग्रुप का यह आयोजन नन्हे बच्चों के लिए ज्ञान की ओर बढ़ने का पहला कदम था, जिसने न केवल उनके शैक्षिक जीवन की शुरुआत की, बल्कि उन्हें संस्कृति और मूल्यों की गहरी समझ भी दी। सचमुच, यह दिन न केवल बच्चों बल्कि उनके परिवारों के लिए भी यादगार बन गया — एक ऐसा दिन, जिसने उनके भविष्य की नींव में संस्कारों की अमिट छाप छोड़ दी।