
हरिद्वार के सैनी आश्रम में प्रबंधन को लेकर विवाद, नई कार्यकारिणी के चुनाव की मांग तेज
हरिद्वार – शहर के प्रतिष्ठित सैनी सभा (सैनी आश्रम) में प्रबंधन को लेकर गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। संस्था के वरिष्ठ सदस्य और पदाधिकारी नई कार्यकारिणी के चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं, जबकि वर्तमान अध्यक्ष और मंत्री पर वित्तीय अनियमितताओं से लेकर अवैध फैसलों तक के आरोप लग रहे हैं। इस संबंध में जिलाधिकारी, हरिद्वार और उपनिबंधक, फर्म सोसायटी चिट्स एंड फंड को पत्र भेजा गया है, जिसमें जल्द से जल्द नए चुनाव कराकर संस्था को पारदर्शी नेतृत्व देने की अपील की गई है।
नियमों के अनुसार कार्यकाल समाप्त, चुनाव जरूरी
सदस्यों के पत्र के अनुसार, सैनी सभा हरिद्वार (सैनी आश्रम) का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है। पिछला चुनाव 5 जनवरी 2022 को हुआ था, और अब वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। ऐसे में संस्था के नियमों के अनुसार, नए चुनाव कराना आवश्यक हो गया है, ताकि संस्था को सुचारु रूप से संचालित किया जा सके।
अध्यक्ष और मंत्री पर गंभीर आरोप
संस्था के कई सदस्यों ने वर्तमान अध्यक्ष और मंत्री पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें वित्तीय अनियमितता, नियमों का उल्लंघन और संस्था के हितों के खिलाफ फैसले लेने के आरोप शामिल हैं।
- बिना कार्यकारिणी की अनुमति के लाखों रुपये खर्च किए गए।
- आश्रम के रंगाई-पुताई, टाइलें लगाने और अन्य कार्यों के नाम पर 19 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता पाई गई।
- 5 लाख रुपये के गबन का मामला ऑडिट रिपोर्ट में उजागर हुआ।
- अवैध रूप से मोबाइल टावर स्थापित किया गया, जिसे बाद में भारी विरोध के बाद हटाना पड़ा।
- आरोप है कि मोबाइल टावर लगाने के बदले भारी कमीशन लिया गया।
- आश्रम में अवैध गतिविधियां और शराब सेवन जैसे मामलों की भी शिकायतें मिली हैं।
संस्था के नाम बदलने की साजिश?
सदस्यों ने यह भी आशंका जताई है कि कुछ प्रभावशाली लोग संस्था का नाम बदलकर या इसे ट्रस्ट में परिवर्तित कर अपने निजी स्वार्थ पूरे करना चाहते हैं। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया है कि यदि संस्था के नाम, नियमावली या संरचना में कोई भी बदलाव किया जाता है, तो उनका पक्ष सुना जाए ताकि संस्था की मूल पहचान और उद्देश्यों की रक्षा की जा सके।
संस्था के भविष्य पर मंडराते सवाल
सैनी सभा (सैनी आश्रम) वर्षों से समाजसेवा और जनकल्याण के लिए समर्पित रही है, लेकिन हाल के विवादों ने इसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है। यदि समय रहते नए चुनाव नहीं हुए और पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की गई, तो संस्था के अस्तित्व पर खतरा मंडरा सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस विवाद को कैसे सुलझाता है और क्या सैनी सभा को एक नया नेतृत्व मिल पाता है या नहीं?