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July 6, 2025 Vol 20

हरिद्वार और रुड़की रेलवे स्टेशनों को बड़ा झटका उत्तराखंड पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने पर्यावरणीय मंज़ूरी की खारिज

हरिद्वार-रुड़की रेलवे स्टेशनों को बड़ा झटका उत्तराखंड पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने पर्यावरणीय मंज़ूरी की खारिज 

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उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संचालन की अनुमति अर्जी की खारिज, कार्रवाई के दायरे में रेलवे

हरिद्वार/रुड़की, :  उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) ने हरिद्वार और रुड़की रेलवे स्टेशनों को पर्यावरणीय मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया है। बोर्ड ने “कॉन्सेंट टू ऑपरेट” (Consent to Operate – CTO) के तहत दोनों स्टेशनों के आवेदन खारिज कर दिए हैं। यह निर्णय जल, वायु और खतरनाक अपशिष्ट से जुड़े पर्यावरणीय कानूनों के उल्लंघन और अनुपालन की गंभीर चूक के आधार पर लिया गया है।

 निरीक्षण में सामने आईं खामियां

UKPCB के रुड़की क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा जारी आदेशों के अनुसार, बोर्ड के अधिकारियों ने 29 जून 2025 को हरिद्वार और रुड़की रेलवे स्टेशनों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान दोनों स्टेशनों से पूर्व में मांगी गई जानकारियों और स्पष्टीकरणों का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं पाया गया। यही नहीं, रेलवे प्रशासन की ओर से समय-सीमा के भीतर कोई अनुपालन रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की गई।

बोर्ड ने स्पष्ट रूप से लिखा है:

“यूनिट द्वारा समय-समय पर इस कार्यालय द्वारा पूछे गए सवालों का उत्तर नहीं दिया गया। इसलिए CTO आवेदन अस्वीकार किया जाता है।”

 रुड़की रेलवे स्टेशन:

आवेदन की तिथि: 3 जून 2022

निरीक्षण की तिथि: 29 जून 2025

स्थिति: लंबे समय तक बिना उत्तर के आवेदन लंबित रहा।

निर्णय: CTO अर्जी खारिज

 हरिद्वार रेलवे स्टेशन:आवेदन की तिथि:

17 फरवरी 2023

निरीक्षण की तिथि: 29 जून 2025

स्थिति: अधूरी जानकारी व दस्तावेज़, विभागीय पूछताछ का उत्तर नहीं

निर्णय: CTO अर्जी खारिज

 किस कानून के तहत हुई कार्रवाई?

UKPCB ने जिन प्रावधानों के अंतर्गत कार्रवाई की, वे निम्नलिखित हैं:

  1. जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 25/26

  2. वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 21

  3. हैज़ार्डस वेस्ट (प्रबंधन और संचालन) नियम, 2016 के तहत प्राधिकरण की अनुमति

इन सभी कानूनों के अनुसार, किसी भी औद्योगिक या सार्वजनिक उपयोग इकाई को संचालन से पहले पर्यावरणीय मंज़ूरी लेना अनिवार्य होता है। अनुमति न मिलने की स्थिति में संचालन अवैध माना जाता है।

 क्या है Consent to Operate (CTO)?

CTO एक वैधानिक अनुमति है जो किसी भी संस्थान या परिसर को वायु, जल व खतरनाक अपशिष्ट से संबंधित गतिविधियाँ चलाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राप्त करनी होती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि कोई भी संस्था पर्यावरणीय मानकों के अनुसार संचालन करे और प्रदूषण को नियंत्रित रखा जाए।


 रेलवे पर क्यों उठे सवाल?

रेलवे जैसे सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से अपेक्षा की जाती है कि वे पर्यावरणीय दायित्वों को गंभीरता से निभाएं। दोनों स्टेशनों की ओर से लगातार चुप्पी और पूछताछों का जवाब न देना, नियमों की अवहेलना के रूप में देखा गया है। इससे बोर्ड ने यह सख़्त रुख अपनाया है।

 UKPCB ने दोनों रेलवे स्टेशनों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे सभी आवश्यक पर्यावरणीय नियमों का पालन करें, खामियों को दूर करें, और सुधारात्मक कदमों के साथ पुनः आवेदन करें। समय रहते अनुपालन न करने की स्थिति में विभागीय कार्रवाई, जुर्माना, या संचालन पर रोक जैसी सख़्त कार्रवाइयों की आशंका जताई जा रही है।

हरिद्वार और रुड़की रेलवे स्टेशन जैसे व्यस्त और प्रमुख रेलवे केंद्रों को पर्यावरणीय मंज़ूरी न मिलना यह संकेत देता है कि अब सरकारी एजेंसियाँ भी प्रदूषण और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को लेकर गंभीर हो रही हैं। यह कदम अन्य संस्थाओं के लिए चेतावनी स्वरूप माना जा सकता है।

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