हरिद्वार में पितृ अमावस्या पर हिंदू धर्म के रक्षकों के मोक्ष हेतु सामूहिक तर्पण

 

हरिद्वार में पितृ अमावस्या पर हिंदू धर्म के रक्षकों के मोक्ष हेतु सामूहिक तर्पण

हरिद्वार। श्राद्ध पक्ष की पितृ अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। इस अवसर पर हर वर्ष लाखों श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पवित्र गंगा तट पर तर्पण, पिंडदान और पूजा-पाठ करते हैं। सोमवार को भी हरिद्वार के विभिन्न घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। गंगा तट पर लोग अपने पितरों को स्मरण कर उन्हें तर्पण अर्पित कर रहे थे। इसी बीच हरिद्वार के नमामि गंगे घाट पर एक अनोखा आयोजन देखने को मिला, जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।

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यह आयोजन किसी एक परिवार या समुदाय तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे समाज और धर्म की सुरक्षा के लिए बलिदान देने वालों को समर्पित था। अयोध्या फाउंडेशन के तत्वाधान में आयोजित इस सामूहिक तर्पण का उद्देश्य उन ज्ञात-अज्ञात वीरों की आत्मा की शांति के लिए आहुति देना था, जिन्होंने हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

सामूहिक तर्पण में वैदिक ब्राह्मणों ने विधि-विधान के साथ पूजन कराया। श्रद्धालुओं ने गंगा जल, तिल, पुष्प और आहुति के रूप में तर्पण अर्पित किया। इस दौरान पूरे वातावरण में मंत्रोच्चार गूंजते रहे और गंगा तट पर भावनाओं का एक अद्भुत संगम देखने को मिला।

 

अयोध्या फाउंडेशन की संस्थापक मीनाक्षी ने बताया कि इस आयोजन के पीछे उद्देश्य उन बलिदानियों को स्मरण करना है जिन्हें समय और राजनीति की धूल ने भुला दिया है। उन्होंने कहा— “आज के दौर में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर किए। दुर्भाग्यवश, राजनीतिक कारणों और सामाजिक उपेक्षा के चलते उनकी यादें धुंधली पड़ गई हैं। हम चाहते हैं कि गंगा मैया के साक्षी रहते हुए उनके मोक्ष के लिए प्रार्थना की जाए और समाज को उनके योगदान का स्मरण कराया जाए।”

इस विशेष आयोजन में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और उत्तराखंड समेत कई राज्यों से श्रद्धालु शामिल हुए। कई परिवार अपने बच्चों के साथ पहुंचे और उन्होंने इसे एक नई पीढ़ी को धर्म और संस्कृति से जोड़ने का अवसर बताया।

श्रद्धालुओं का कहना था कि पितृ अमावस्या पर पितरों का स्मरण करने के साथ-साथ समाज के लिए बलिदान देने वालों को भी याद करना एक बड़ी आध्यात्मिक जिम्मेदारी है। तर्पण में शामिल लोगों ने यह संदेश दिया कि धर्म और संस्कृति की रक्षा में प्राण देने वालों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

हरिद्वार के संत समाज ने भी इस पहल की सराहना की और इसे एक नई परंपरा की शुरुआत बताया। उनका कहना था कि इस तरह के आयोजन आने वाली पीढ़ियों को अपने धर्म और इतिहास के प्रति जागरूक करेंगे।

गंगा की लहरों और मंत्रोच्चार के बीच सम्पन्न हुआ यह सामूहिक तर्पण पितृ अमावस्या को और भी विशेष बना गया। श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद स्वरूप यह प्रार्थना की कि गंगा मैया उन सभी आत्माओं को शांति और मोक्ष प्रदान करें जिन्होंने धर्म और समाज की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।


 

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