हरिद्वार में 12 फैक्ट्रियों की अनुमति रद्द — प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बड़ी कार्रवाई

हरिद्वार में 12 फैक्ट्रियों की अनुमति रद्द — प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बड़ी कार्रवाई

28 अक्टूबर को एक साथ कई उद्योगों के आवेदन हुए रिजेक्ट, हरिद्वार के औद्योगिक इलाकों में मचा हड़कंप

हरिद्वार। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण नियमों का पालन न करने वाले कई उद्योगों पर सख्त कार्रवाई की है।
बोर्ड ने हरिद्वार जिले की 12 फैक्ट्रियों और कंपनियों की अनुमति (CTO और CTE) को रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई 27 और 28 अक्टूबर 2025 को की गई।

इनमें Darsheel Enterprises Pvt. Ltd., Zikra Feed Industries, Kavin Creations, Hotel Ashoka,  Raavi Enterprises, Uttam Packaging, MMT Global Recycling Pvt. Ltd., Ravindra Kumar Garg, Mool Chand & Sons, Zulfikar Ansari और Neubin Life Sciences Pvt. Ltd. जैसी कंपनियां शामिल हैं।

इन कंपनियों ने या तो नई अनुमति (new/expansion) के लिए आवेदन किया था या फिर पुरानी अनुमति (renewal) को बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन बोर्ड ने सभी आवेदन रिजेक्ट कर दिए।

क्यों रद्द हुई अनुमति?

बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ कंपनियों ने पर्यावरण के नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया था।
कई जगह गंदे पानी, कचरे और धुएं के निस्तारण की व्यवस्था ठीक नहीं थी।
कुछ कंपनियों के दस्तावेज़ अधूरे या गलत पाए गए।
इसी कारण बोर्ड ने उनकी अनुमति रद्द कर दी।

अब क्या होगा?

जिन कंपनियों की अनुमति रद्द हुई है, वे अब कानूनी रूप से अपना प्लांट नहीं चला पाएंगी
अगर कोई कंपनी बिना अनुमति के काम जारी रखती है, तो उस पर जुर्माना और कार्रवाई हो सकती है।
बोर्ड ने साफ कहा है कि –

“पर्यावरण से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।”

कहां हुई कार्रवाई?

सभी आवेदन Roorkee Regional Office (Roorkee RO) से जुड़े थे।
सबसे ज़्यादा रिजेक्शन 28 अक्टूबर 2025 को हुए, जब 8 से ज़्यादा उद्योगों के आवेदन एक साथ खारिज कर दिए गए।
27 अक्टूबर को भी 4 कंपनियों की फाइलें रद्द हुईं।

क्या है CTO और CTE?

  • CTE (Consent To Establish) – नई फैक्ट्री लगाने या विस्तार करने की अनुमति।
  • CTO (Consent To Operate) – फैक्ट्री चलाने की अनुमति।
    इन दोनों के बिना कोई भी उद्योग कानूनी तौर पर काम नहीं कर सकता।

संदेश साफ – पर्यावरण पहले

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि सरकार अब पर्यावरण के साथ समझौता नहीं करेगी
हरिद्वार जैसे धार्मिक और पर्यटन जिले में, जहां पहले से प्रदूषण का दबाव बढ़ रहा है, वहां यह सख्ती ज़रूरी मानी जा रही है।

 

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