हरिद्वार: कबाड़ी के गोदाम पर ड्रग विभाग का छापा, एक्सपायर्ड दवाएँ बरामद — दवा कंपनियों की लापरवाही उजागर
हरिद्वार। उत्तराखंड का हरिद्वार जिला देशभर में दवा निर्माण हब (Pharmaceutical Manufacturing Hub) के रूप में पहचान रखता है। यहां सैकड़ों दवा कंपनियाँ और सप्लाई यूनिट्स सक्रिय हैं, जो देश के कई राज्यों में दवाओं की आपूर्ति करती हैं।
लेकिन इसी औद्योगिक ताकत के बीच, हरिद्वार में एक गंभीर लापरवाही बार-बार सामने आ रही है — कई दवा निर्माता और सप्लायर कंपनियाँ एक्सपायर्ड और डैमेज दवाओं का निस्तारण सही तरीके से न कर उन्हें कबाड़ियों को बेच देती हैं, जो न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि जनस्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक भी है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया जब हरिद्वार औषधि विभाग ने सालीयर, रूड़की स्थित एक कबाड़ी के गोदाम पर छापा मारा।
छापा: सरकारी आपूर्ति की दवाएँ भी मिलीं एक्सपायर्ड
छापे की कार्रवाई वरिष्ठ औषधि निरीक्षक अनीता भारती के नेतृत्व में की गई, जिसमें औषधि निरीक्षक हरीश सिंह और मेघा भी शामिल रहीं।
निरीक्षण के दौरान Aquascot Healthcare Pvt. Ltd., Vision Medilink, Ultra Drug Pvt. Ltd. सहित कई कंपनियों की दवाएँ बरामद की गईं।
इनमें से कई दवाएँ एक्सपायर्ड या डैमेज पाई गईं, जबकि कुछ सरकारी आपूर्ति हेतु चिन्हित (राजस्थान व मध्य प्रदेश सरकार) दवाएँ भी मिलीं।
टीम ने कुल 12 प्रकार की एलोपैथिक दवाएँ जब्त कीं, मौके पर ही जप्ती मेमो (Form-16) एवं स्पॉट मेमो तैयार किया गया। बरामद दवाओं को गवाह की उपस्थिति में पैक व सीलबंद किया गया।
कानूनी प्रावधान: एक्सपायर्ड दवाओं के निस्तारण पर सख्त नियम
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के अनुसार —
- एक्सपायर्ड या डैमेज दवाओं को बेचना, संग्रह करना या वितरण करना पूर्णतः प्रतिबंधित है।
- ऐसी दवाओं का वैज्ञानिक और अधिकृत निस्तारण केवल प्राधिकृत एजेंसी या इंसीनरेटर (Incinerator) के माध्यम से किया जा सकता है।
- रूल 65(17) और रूल 85(2) के तहत कंपनियों को एक्सपायर्ड स्टॉक का रिकॉर्ड रखना और समय पर नष्ट करना अनिवार्य है।
- धारा 18(a)(i) के तहत बिना अनुमति ऐसी दवाओं का व्यापार दंडनीय अपराध है, जिसमें 3 से 5 वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
हरिद्वार में आम हो रही है गलत निस्तारण की प्रवृत्ति
विशेषज्ञों का कहना है कि हरिद्वार में दवा कंपनियों और सप्लायर्स द्वारा निस्तारण नियमों की अनदेखी आम हो चुकी है। कई बार डैमेज या एक्सपायर्ड दवाओं को नष्ट करने की बजाय कबाड़ियों को बेच दिया जाता है, जिससे ये दवाएँ दोबारा बाजार में पहुँचने का खतरा बन जाती हैं।
यह न केवल कानूनी रूप से अपराध है, बल्कि जनस्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।
सीनियर ड्रग इंस्पेक्टर अनीता भारती का बयान
“कबाड़ी के गोदाम में शिकायत मिलने के बाद निरीक्षण किया गया, जहां एक्सपायर्ड और डैमेज दवाइयाँ मौके पर मिलीं। सभी दवाओं को सील कर लिया गया है। इन पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, इन दवाओं की मैन्युफैक्चरर और सप्लायर की चेन को भी खंगाला जाएगा, ताकि यह पता चल सके कि ये दवाइयाँ कबाड़ी के गोदाम तक कैसे पहुँचीं।”