हरिद्वार के आंगनबाड़ी केंद्र में लापरवाही का बड़ा मामला, एक्सपायरी दवाइयों और दूध से मचा हड़कंप 

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हरिद्वार के आंगनबाड़ी केंद्र में लापरवाही का बड़ा मामला — एक्सपायरी दवाइयां और दूध बरामद,

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हरिद्वार,   हरिद्वार जिले के ग्राम सलेमपुर मेहदूद स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 20 में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। केंद्र में भारी मात्रा में एक्सपायरी दवाइयां और मुख्यमंत्री पोषण योजना के तहत वितरित किया जाने वाला एक्सपायरी दूध बरामद हुआ है। यह दवाइयां और पोषण आहार बच्चों और गर्भवती महिलाओं को वितरित किए जाने थे, जो कि कई महीने पहले ही अपनी वैधता खो चुके थे।

जैसे ही यह खबर स्थानीय लोगों तक पहुंची, पूरे गांव में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने केंद्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं और बाल विकास विभाग के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन की चुप्पी पर भी नाराजगी जताई है।

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जांच की उठी मांग, प्रशासन पर नाराजगी

ग्रामीणों ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस तरह की लापरवाही बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ है और यह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लोगों का कहना है कि प्रशासन की निष्क्रियता और विभाग की उदासीनता के कारण ही ऐसी घटनाएं दोहराई जाती हैं। उन्होंने मामले की उच्च स्तरीय जांच और जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।

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तीन दिन पहले ही 40 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर गिरी गाज

इस घटना से ठीक तीन दिन पहले, आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यप्रणाली पर गंभीर कार्रवाई करते हुए मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आकांक्षा कोंडे ने 40 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सेवाएं समाप्त करने के आदेश दिए थे।

शुक्रवार को आयोजित समीक्षा बैठक में सीडीओ ने ‘पोषण ट्रैकर’ ऐप के माध्यम से की गई निगरानी की समीक्षा की। पाया गया कि कई आंगनबाड़ी केंद्र लंबे समय से बंद थे और वहां कार्य पूर्ण रूप से ठप पड़ा था। इसी आधार पर सीडीओ ने 40 केंद्रों की कार्यकर्ताओं को सेवा से हटाने के निर्देश दिए।

जनता में आक्रोश, उठी सख्त निगरानी की मांग

लगातार सामने आ रहे मामलों ने बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि विभाग ने समय रहते निगरानी और निरीक्षण किया होता, तो यह स्थिति पैदा नहीं होती। अब जनता की ओर से मांग की जा रही है कि —

  • सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की तत्काल औचक जांच करवाई जाए

  • एक्सपायरी दवाइयों और दूध के वितरण के लिए जिम्मेदार कर्मियों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई की जाए

  • पोषण ट्रैकर के प्रभावी उपयोग के साथ-साथ जमीनी स्तर पर निरीक्षण को अनिवार्य बनाया जाए

  • विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए

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