“100% दावे पर रोक: FSSAI का पैकेज्ड फूड कंपनियों को अल्टीमेटम, उपभोक्ताओं को भ्रामक प्रचार से मिलेगी राहत”
नई दिल्ली: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने पैकेज्ड फूड कंपनियों को कड़ा संदेश देते हुए खाद्य उत्पादों की पैकिंग, लेबलिंग और विज्ञापन में ‘100%’ जैसे शब्दों के उपयोग पर रोक लगा दी है। FSSAI ने साफ किया है कि ऐसे दावे न सिर्फ भ्रामक हैं, बल्कि उपभोक्ताओं को गुमराह करने का जरिया बनते हैं।
28 मई को जारी परामर्श में नियामक ने कहा, “100% शब्द की कोई स्पष्ट परिभाषा खाद्य सुरक्षा अधिनियम में नहीं है, और इसका इस्तेमाल उपभोक्ताओं को यह गलत संकेत दे सकता है कि उत्पाद पूर्णत: शुद्ध है या दूसरों से श्रेष्ठ है।”
FSSAI के इस कदम का उद्देश्य उपभोक्ता हितों की रक्षा करना और खाद्य उत्पादों को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। चॉकलेट, शहद, चाय, बिस्कुट और प्रोटीन पाउडर जैसे उत्पादों पर अक्सर ‘100% शुद्ध’, ‘100% बाजरा’, ‘100% शुगर फ्री’ जैसे दावे किए जाते हैं, जिन्हें अब नियंत्रित किया जाएगा।
उद्योग की प्रतिक्रिया:
एक प्रमुख स्नैक्स ब्रांड के वरिष्ठ अधिकारी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह उपभोक्ताओं को सही जानकारी देगा। हालांकि, यह भी जरूरी है कि जिन कंपनियों के दावे वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हैं, उन्हें अनावश्यक दंड न मिले।”
डाबर और FSSAI के बीच कानूनी विवाद:
FSSAI पहले ही ‘100% फलों के रस’ जैसे दावों पर आपत्ति जता चुका है। डाबर के ‘रियल जूस’ ब्रांड के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई में FSSAI ने कहा है कि इस तरह का दावा उपभोक्ताओं को गुमराह करता है और मौजूदा नियमों का उल्लंघन है।
भविष्य की दिशा:
FSSAI उपभोक्ताओं को पैकेज्ड फूड की वास्तविक पोषण गुणवत्ता के बारे में जागरूक करने के लिए लेबलिंग नियमों में और भी बदलाव कर रहा है। नियामक पहले ही प्रस्ताव कर चुका है कि चीनी, नमक और संतृप्त वसा की मात्रा को लेबल पर बड़े फॉन्ट में प्रदर्शित किया जाए ताकि उपभोक्ता सूचित निर्णय ले
FSSAI का यह फैसला एक अहम पहल है जो खाद्य सुरक्षा मानकों को मजबूत करेगा और उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों से बचाएगा। अब देखने वाली बात होगी कि कंपनियां इन निर्देशों का कितना गंभीरता से पालन करती हैं