
नकली दवा फैक्ट्री का पर्दाफाश: मूव और वीट क्रीम बनाने वाली फर्जी कंपनी पर छापा
नई दिल्ली: राजधानी में नकली दवाओं के कारोबार का पर्दाफाश हुआ है। शालीमार बाग इलाके में नकली पेन रिलीफ क्रीम ‘मूव’ और हेयर रिमूवल क्रीम ‘वीट’ बनाने वाली अवैध फैक्ट्री पर पुलिस ने छापा मारा। इस कार्रवाई में भारी मात्रा में नकली क्रीम, रॉ मैटेरियल और पैकिंग सामग्री जब्त की गई। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जबकि फैक्ट्री में काम कर रहे अन्य वर्कर्स को हिरासत में लिया गया है।

शिकायतों से खुली पोल
यह मामला तब सामने आया जब ‘चेक आईपी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड’ ने पुलिस को सूचना दी कि बाजार में ‘मूव’ और ‘वीट’ क्रीम के नकली उत्पाद बेचे जा रहे हैं। ग्राहक लगातार शिकायत कर रहे थे कि इन क्रीम्स का असर नहीं हो रहा। कंपनी ने जब बाजार में जांच की, तो शक गहराया और पुलिस को सूचित किया गया। इसके बाद नॉर्थ वेस्ट जिले की डीआईयू यूनिट ने 11 मार्च को शालीमार बाग की दो अलग-अलग लोकेशन्स पर रेड की।
छापे में क्या मिला?
छापे के दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में नकली वीट हेयर रिमूवल क्रीम और मूव पेन रिलीफ क्रीम बरामद की। इसके अलावा रॉ मैटेरियल, मशीनें, डाई, सीलिंग मशीन और खाली ट्यूब्स भी जब्त की गईं। जांच में पता चला कि ये नकली क्रीम हूबहू असली क्रीम जैसी दिखने के लिए ऐसे केमिकल्स से बनाई जा रही थीं, जिनकी गंध और रंग असली से मिलते-जुलते थे, लेकिन असर नहीं होता था।
कैसे हो रही थी सप्लाई?
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि इस नकली क्रीम की सप्लाई दिल्ली के अलावा देश के कई राज्यों में की जा रही थी। ये क्रीम छोटे दुकानदारों के जरिए ग्राहकों तक पहुंच रही थी, जिससे ग्राहकों को असली-नकली की पहचान करना मुश्किल हो रहा था।
कैसे पहचानें नकली क्रीम?
पुलिस और कंपनी ने ग्राहकों को नकली क्रीम पहचानने के लिए कुछ जरूरी टिप्स दिए हैं:
- बारकोड जांच: असली प्रोडक्ट पर बारकोड होता है, जिसे स्कैन करने पर प्रोडक्ट की पूरी जानकारी मिलती है। नकली प्रोडक्ट में या तो बारकोड नहीं होगा, या स्कैन करने पर जानकारी नहीं आएगी।
- पैकेजिंग: नकली क्रीम की पैकेजिंग अक्सर रफ होती है, प्रिंट धुंधला हो सकता है, और फॉन्ट अलग होता है।
- कीमत: नकली क्रीम असली के मुकाबले 5 से 10 रुपये सस्ती हो सकती है।
- रंग और टेक्सचर: असली मूव क्रीम सफेद या हल्के पीले रंग की होती है, जबकि नकली क्रीम में रंग का अंतर हो सकता है। इसके अलावा, असली क्रीम जल्दी त्वचा में समा जाती है, जबकि नकली क्रीम देर तक बनी रह सकती है और जलन पैदा कर सकती है।
आगे की कार्रवाई
फिलहाल, पुलिस ने कॉपीराइट एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस फर्जीवाड़े के पीछे और कौन-कौन लोग शामिल हैं और क्या ये नकली दवाएं किसी बड़े रैकेट का हिस्सा हैं।
यह मामला लोगों के लिए एक चेतावनी है कि दवा खरीदते समय सावधानी बरतें और प्रोडक्ट की सत्यता जांच लें, ताकि किसी नकली प्रोडक्ट का शिकार न बनें।
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