नकली दवाओं पर सख्ती: औषधि परामर्शदात्री समिति के नए दिशा-निर्देश

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दिल्ली :- देश में नकली और घटिया गुणवत्ता वाली दवाओं की रोकथाम के लिए औषधि परामर्शदात्री समिति (DCC) ने सख्त कदम उठाने की सिफारिश की है। हाल ही में हुई 65वीं बैठक में समिति ने औषधि कानूनों के सख्त क्रियान्वयन और दिशानिर्देशों के उन्नयन पर चर्चा की।

नकली दवाओं पर सख्ती क्यों जरूरी?

भारत में फार्माकोपिया को समय-समय पर अपडेट किया जाता है, जिसमें अशुद्धि प्रोफाइलिंग जैसे कई नए परीक्षण शामिल किए जाते हैं। हालांकि, वर्तमान नियमों में इनका स्पष्ट उल्लेख नहीं है। नकली दवाओं का निर्माण और बिक्री न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि यह दवा उद्योग की साख को भी नुकसान पहुंचाता है।

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कड़े दंड और नए सुधारों की सिफारिश

DCC ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) को सुझाव दिया कि औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 में संशोधन कर दंड को और सख्त किया जाए। इसके तहत:

  • नकली दवाओं के निर्माता और विक्रेताओं के लिए कठोर दंड तय किए जाएंगे।
  • राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों (SLA) से सुझाव मांगे जाएंगे।
  • दिशा-निर्देशों को अद्यतन कर सभी सदस्यों के साथ साझा किया जाएगा।

क्या होगा आगे?

समिति ने कहा कि विशेषज्ञ समिति SLA से टिप्पणियां लेकर इस मुद्दे को और प्रभावी ढंग से संबोधित करेगी। इस समिति को जरूरत पड़ने पर नए विशेषज्ञों को शामिल करने का भी अधिकार होगा।

निष्कर्ष

नकली दवाओं के खिलाफ यह पहल देश के औषधि क्षेत्र को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि औषधि उद्योग की साख भी बनी रहेगी।

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