नकली दवाओं का भंडाफोड़: बद्दी से 950 किलो नकली API ज़ब्त, सुक्रालफेट पूरी तरह गायब

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नकली दवाओं का भंडाफोड़: बद्दी से 950 किलो नकली API ज़ब्त, सुक्रालफेट पूरी तरह गायब

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हिमाचल प्रदेश  :-  देश की फार्मा हब के रूप में पहचान बना चुका हिमाचल का बीबीएन (बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़) औद्योगिक क्षेत्र एक बार फिर नकली दवा निर्माण के मामले में चर्चा में है। राज्य औषधि नियंत्रण प्रशासन ने ‘नकली दवाओं पर जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए बद्दी से 950 किलोग्राम नकली एपीआई (Active Pharmaceutical Ingredient) जब्त की है। यह API दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाला सक्रिय घटक होता है। जब्त सामग्री में सुक्रालफेट नामक आवश्यक औषधि पूरी तरह अनुपस्थित पाई गई।


कैसे हुआ खुलासा?

राज्य औषधि नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर के नेतृत्व में, खुफिया सूचना के आधार पर औषधि निरीक्षक विकास ठाकुर और अक्षय कुमार की टीम ने बद्दी स्थित मेसर्स आदिनाथ हेल्थकेयर की फैक्ट्री पर छापा मारा। वहां से 38 ड्रम में संदिग्ध API बरामद हुए। इनमें से 30 ड्रम पर लेजेंड इंडस्ट्रीज (गुजरात) और 8 ड्रम पर पार ड्रग्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (गुजरात) का लेबल था।


जांच में क्या मिला?

11 नमूने कोलकाता स्थित सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी (CDL) भेजे गए। सभी सैंपल में सुक्रालफेट नाम मात्र भी मौजूद नहीं था। जब कंपनियों ने इस रिपोर्ट को चुनौती दी, तो कोर्ट के आदेश पर दोबारा जांच करवाई गई। अब तक आए पांच परीक्षणों ने भी साफ कर दिया कि सैंपल पूरी तरह नकली हैं।

यह नकली API दवा निर्माण में उपयोग की जाती तो हजारों मरीजों की जान पर बन आती।


क्यों खतरनाक है मामला?

सुक्रालफेट ड्यूओडेनल अल्सर (आंतों में घाव) के इलाज में इस्तेमाल होती है। यह पेट की अम्लता से घाव को सुरक्षित रखती है। इसकी नकली आपूर्ति से मरीजों को न केवल लाभ नहीं मिलता, बल्कि उनकी हालत और बिगड़ सकती है।


हिमाचल के फार्मा उद्योग पर धब्बा

बद्दी क्षेत्र एशिया में फार्मा उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है, जहां से देशभर और विदेशों में दवाओं की आपूर्ति होती है। नकली API की इस खेप ने क्षेत्र की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


क्या होगी कार्रवाई?

डॉ. कपूर ने बताया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत अपराधियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अन्य राज्यों की ड्रग नियामक एजेंसियों से भी सहयोग की अपील की है।

“पिछले वर्ष 19 मामले सामने आए, जिनमें हिमाचल की फर्जी पहचान लगाकर नकली दवाएं बेची गईं। इस साल भी अब तक 4 मामले सामने आ चुके हैं। दोषियों को किसी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।” — डॉ. मनीष कपूर


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