ड्रग विभाग में हड़कंप: 58 नकली दवाएं पकड़ीं, सिर्फ 6 केस दर्ज — अब नई आयुक्त की सख्ती

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ड्रग विभाग में हड़कंप: 58 नकली दवाएं पकड़ीं, सिर्फ 6 केस दर्ज — अब नई आयुक्त की सख्ती

जयपुरः राजस्थान में नकली दवाओं का खेल अब सरकार और ड्रग विभाग के लिए सिरदर्द बन गया है। पिछले तीन वर्षों में 58 नकली दवाएं पकड़ी जाने के बावजूद केवल 9 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई और उनमें से भी महज 6 पर केस दर्ज — यह आंकड़ा खुद बताता है कि सिस्टम में कितनी “नरमी” बरती जा रही थी। लेकिन अब हालात बदलने वाले हैं — नई ड्रग आयुक्त डॉ. टी. शुभमंगला ने सख्त तेवर दिखाते हुए साफ कर दिया है कि “जवाबदेही तय होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”

58 नकली दवाएं, लेकिन सिर्फ 6 केस – कार्रवाई या खानापूर्ति?

राजस्थान ड्रग आयुक्तालय की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में 16, 2024 में 39, और 2025 में अब तक 3 नकली दवाएं जांच में मिली हैं। लेकिन इन मामलों में कार्रवाई का रिकॉर्ड बेहद शर्मनाक है। कई कंपनियां जिनकी दवाएं नकली साबित हुईं, वे आज भी बाजार में अपने प्रोडक्ट बेच रही हैं। सवाल उठता है — जब साक्ष्य मौजूद थे, तो केस क्यों नहीं चले? जवाब है – “ऊपर से दबाव और अंदर से मिलीभगत।”

कई जिलों के औषधि निरीक्षकों पर आरोप हैं कि उन्होंने जांच रिपोर्टों को “तकनीकी जांच” के नाम पर रोक रखा, जिससे दोषी कंपनियों को समय मिल गया और जनता की जान से खिलवाड़ जारी रहा।

ड्रग आयुक्त की सख्ती से खुली विभाग की पोल

नवनियुक्त ड्रग आयुक्त डॉ. टी. शुभमंगला ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने आदेश दिया है कि जिन अधिकारियों ने प्रोसिक्यूशन में देरी की, उन पर चार्जशीट जारी की जाएगी। साथ ही राज्यभर के सभी जिलों से एक सप्ताह के भीतर नकली दवाओं की रिपोर्ट मांगी गई है।

डॉ. शुभमंगला ने स्पष्ट कहा —

“जनता की सेहत से खिलवाड़ करने वालों को अब कोई राहत नहीं मिलेगी। विभाग के भीतर जवाबदेही तय की जाएगी, चाहे वो फील्ड अफसर हों या उच्च अधिकारी।”

फील्ड अफसरों में हड़कंप, पुरानी फाइलें खुलनी शुरू

आयुक्त के आदेश के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है। जिन अफसरों ने वर्षों से फाइलों को ठंडे बस्ते में डाल रखा था, अब वे पुरानी जांच रिपोर्टें खंगालने में जुट गए हैं। कई जिलों में ड्रग इंस्पेक्टरों को नोटिस जारी होने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि विभाग अब एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल बनाने जा रहा है जो न केवल नकली दवाओं की निगरानी करेगा बल्कि सीधे एफआईआर और लाइसेंस सस्पेंशन की कार्रवाई भी करेगा।

जनता का सवाल — जब सबूत हैं तो सजा कब होगी?

इस खुलासे ने जनता में आक्रोश फैला दिया है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब विभाग को नकली दवाओं की पूरी जानकारी थी, तो दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हर नकली दवा एक संभावित जहर है, जो मरीज की जान ले सकती है। ऐसे में देरी करने वाले अधिकारियों को भी उतना ही दोषी माना जाना चाहिए जितना इन नकली दवाओं के निर्माता।

अब होगी जवाबदेही की धमाकेदार शुरुआत

राज्य सरकार को भी इस पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई बड़े नामों पर गाज गिर सकती है। ड्रग विभाग की इस नई सख्ती ने वर्षों से चले आ रहे “मिलावट के साम्राज्य” में हलचल मचा दी है।

अब पूरा राजस्थान यही जानना चाहता है —
“क्या इस बार दोषियों पर गाज सच में गिरेगी या फिर यह मामला भी फाइलों में ही दम तोड़ देगा?”
लेकिन संकेत साफ हैं — इस बार “जवाबदेही तय होगी और कार्रवाई धमाकेदार होगी।”

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