ड्रग इंस्पेक्टर से FDA अपर आयुक्त तक: ताजबर सिंह का सफर, जिसने बदल दी उत्तराखंड की दवा और खाद्य सुरक्षा व्यवस्था
देहरादून।
उत्तराखंड खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) के अपर आयुक्त ताजबर सिंह आज उस चेहरे के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने राज्य की दवा और खाद्य सुरक्षा व्यवस्था को नई दिशा दी। नकली दवाओं पर कड़ा शिकंजा, मेडिकल स्टोरों की सघन निगरानी, फार्मा कंपनियों को नियमों के दायरे में लाना और खाद्य मिलावट पर निर्णायक प्रहार—इन सब कदमों ने उन्हें एक ऐसे अधिकारी की पहचान दी है, जो दबावों में झुकने के बजाय सिस्टम को मजबूत करने का साहस रखते हैं।
लेकिन इस मुकाम तक पहुँचना आसान नहीं था। उनका यह सफर शुरू हुआ था एक साधारण ड्रग इंस्पेक्टर की कुर्सी से, जब चुनौतियाँ ज्यादा और संसाधन बेहद सीमित थे।
शुरुआत: चुनौतियों से जंग
करियर की शुरुआत में ही ताजबर सिंह को नकली और घटिया दवाओं के नेटवर्क से भिड़ना पड़ा। उस दौर में उत्तराखंड में दवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठते थे।
- कई जिलों में बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर खुलेआम चल रहे थे।
- नकली एंटीबायोटिक और पेनकिलर गाँव-गाँव तक पहुँच रहे थे।
- निरीक्षण तंत्र कमजोर था और भ्रष्टाचार हावी।
ऐसे हालात में उन्होंने लगातार छापेमारी की, लाइसेंसधारी स्टोरों को नियमों का पालन कराने पर मजबूर किया और कई बड़े सिंडिकेट्स को शुरुआती दौर में ही ध्वस्त कर दिया। उनका साफ संदेश था—
“जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा।”
ड्रग कंट्रोलर के रूप में नई पहचान
ईमानदारी और दबावों से न झुकने की छवि ने उन्हें उत्तराखंड के ड्रग कंट्रोलर पद तक पहुँचाया। यह जिम्मेदारी सँभालते ही उन्होंने कई बड़े कदम उठाए—
- लाइसेंसिंग में पारदर्शिता – महीनों तक अटके रहने वाले लाइसेंस अब तय समय पर मिलने लगे।
- GMP अनुपालन पर सख्ती – फार्मा कंपनियों को गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज़ लागू करने को मजबूर किया।
- बिना लाइसेंस कारोबार पर रोक – सैकड़ों मेडिकल स्टोर सील हुए।
- सघन निरीक्षण अभियान – कंपनियों और स्टोर्स पर लगातार छापेमारी से दवाइयाँ मानकों पर खरी उतरने लगीं।
यही वह दौर था जब प्रदेश में संदेश गया कि अब दवा कारोबार में मनमानी नहीं चलेगी।
FDA अपर आयुक्त: बड़ा दायित्व, बड़े कदम
FDA के अपर आयुक्त बनने पर ताजबर सिंह का दायरा और बढ़ा। अब दवाओं के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा भी उनके अधिकार क्षेत्र में थी।
- नकली दवा सिंडिकेट पर शिकंजा – हरिद्वार व देहरादून में छापेमारी कर करोड़ों की नकली दवाएँ जब्त कीं, अंतरराज्यीय नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ।
- मेडिकल स्टोरों की कड़ी जांच – नियम तोड़ने वाले सैकड़ों स्टोरों के लाइसेंस निलंबित।
- नारकोटिक दवाओं पर निगरानी – कोडीन और ट्रामाडोल जैसी नियंत्रित दवाओं की अवैध बिक्री पर विशेष अभियान।
- खाद्य सुरक्षा पर प्रहार – मिलावटी दूध, मिठाई और पैक्ड फूड पर बड़ी कार्रवाई, उपभोक्ताओं को राहत।
- डिजिटल पारदर्शिता – लाइसेंसिंग और निरीक्षण ऑनलाइन, भ्रष्टाचार और बिचौलिये खत्म।
उत्तराखंड FDA की प्रमुख उपलब्धियाँ
ताजबर सिंह के नेतृत्व में FDA की उपलब्धियाँ ठोस आँकड़ों में नजर आती हैं—
- नकली दवा कार्रवाई (2023–25)
- 53 मामले दर्ज, 89 गिरफ्तार।
- 33 फार्मा कंपनियों को उत्पादन बंद करने का नोटिस।
- विभिन्न राज्यों के FDA के साथ संयुक्त छापेमारी।
- खाद्य सुरक्षा सुधार
- फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स अभियान में प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान।
- नेस्ले इंडिया के सहयोग से 1200 से अधिक स्ट्रीट फूड विक्रेताओं का प्रशिक्षण।
- चारधाम यात्रा व श्रावण मेला जैसे आयोजनों में खाद्य जांच से लाखों श्रद्धालुओं को लाभ।
- प्रयोगशाला व बुनियादी ढाँचा
- रुद्रपुर की खाद्य लैब को NABL प्रमाणन।
- 18 नए ड्रग इंस्पेक्टर नियुक्त, निगरानी क्षमता दोगुनी।
- प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण
- नवचयनित निरीक्षकों के लिए आधुनिक प्रशिक्षण।
- कर्मचारियों में जवाबदेही और ईमानदारी की संस्कृति।
जनता और उद्योग दोनों पर बराबर ध्यान
ताजबर सिंह केवल कार्रवाई करने वाले अफसर नहीं हैं, बल्कि जागरूकता फैलाने वाले प्रशासक भी हैं।
- जनता को नकली और घटिया दवाओं की पहचान सिखाने के अभियान।
- फार्मा कंपनियों व मेडिकल स्टोर संचालकों को नियमों का प्रशिक्षण।
- विभागीय कर्मचारियों में पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति।
सख्त और पारदर्शी कार्यशैली
उनकी कार्यशैली की सबसे बड़ी ताकत है निष्पक्षता और पारदर्शिता।
- वे राजनीतिक दबाव में नहीं झुकते।
- हर कार्रवाई ठोस सबूतों पर आधारित होती है।
- उनकी टीम जानती है कि नेतृत्व हर स्थिति में उनके पीछे खड़ा है।
उनका स्पष्ट संदेश है—
“दवाइयों और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं।”
एक साधारण ड्रग इंस्पेक्टर से लेकर FDA अपर आयुक्त तक का ताजबर सिंह का सफर सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए प्रेरणा है। उनकी मेहनत, अनुशासन और पारदर्शिता ने दवा और खाद्य सुरक्षा तंत्र को नई मजबूती दी है।
आज जब देश नकली दवाओं और खाद्य मिलावट जैसी गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है, उत्तराखंड का उदाहरण बताता है कि सही नेतृत्व मिलने पर बदलाव संभव है।
ताजबर सिंह का सफर इस बात का प्रतीक है कि ईमानदारी और सख्ती से भी व्यवस्था को बदला जा सकता है। आने वाले समय में उनकी यही दूरदर्शिता राज्य को नकली और घटिया दवाओं से मुक्त बनाने की राह दिखाएगी।