औषधि नियंत्रक की बड़ी लापरवाही – 55 नकली दवाएं बन गईं सिर्फ 36!
नकली दवाओं की गिनती घटाकर विधानसभा और केंद्र को दी गई गलत जानकारी
जयपुर, 30 सितम्बर – राजस्थान के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण आयुक्तालय (एफएसडीसीसी) में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। औषधि नियंत्रक-द्वितीय राजा राम शर्मा पर नकली दवाओं की परिभाषा को गलत ढंग से व्याख्यायित करने और आंकड़े बदलकर पेश करने का गंभीर आरोप है।
55 से 36 कैसे हो गई नकली दवाएं?
2022 से 2024 के बीच राजस्थान ने केंद्र को 55 नकली दवाओं की सूची भेजी थी। लेकिन परिभाषा की गलत व्याख्या कर इसे घटाकर 36 कर दिया गया।
शर्मा का तर्क था – यदि किसी दवा में सभी तत्व मौजूद हों लेकिन एक महत्वपूर्ण तत्व पूरी तरह शून्य हो, तो वह नकली नहीं मानी जाएगी। जबकि निर्माता स्वयं मान चुका था कि यह उसकी बनाई हुई दवा है।
विधानसभा तक पहुंची गलत रिपोर्ट
यह गलत आंकड़े सीधे विधानसभा और फिर केंद्र तक भेज दिए गए। जब मामला सामने आया तो 19 सितम्बर की बैठक में एफएसडीसीसी आयुक्त को इस बड़ी चूक को स्वीकार करना पड़ा।
और बिगाड़ा मामला
घोटाले को और उलझाते हुए आरोपी अधिकारी ने सहायक औषधि नियंत्रक को फाइल की आधिकारिक नोटशीट बदलने का आदेश दिया। एफएसडीसीसी ने इस कदम को “अवैध और अस्वीकार्य” करार दिया।
स्वास्थ्य सुरक्षा पर खतरा
सूत्रों के अनुसार, इस हेरफेर की वजह से नकली दवाओं की सूची से जिन दवाओं को बाहर रखा गया, वे सिर्फ सामान्य बीमारियों की ही नहीं बल्कि हृदय और तंत्रिका रोगों से जुड़ी दवाएं भी थीं। यानी सीधे तौर पर मरीजों की जिंदगी खतरे में डाली गई।
अब उठ रहे बड़े सवाल
- क्या यह सब फार्मा कंपनियों को बचाने के लिए किया गया?
- विधानसभा और केंद्र को गुमराह करना महज़ लापरवाही है या सुनियोजित साज़िश?
- मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले जिम्मेदारों पर कब होगी कड़ी कार्रवाई?
👉 यह प्रकरण राजस्थान की दवा नियामक व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल खड़ा करता है।