ड्रग केस में बड़ा खुलासा: पुलिस की ‘नाइट्रावेट’ बरामदगी निकली पैरासिटामोल, अदालत ने बरी किए दो भाई
चेन्नई, चेन्नई की अदालत में एक ऐसा खुलासा हुआ जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली और जांच व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। जिस मामले को 2021 में ‘बड़ा ड्रग्स पकड़ा जाना’ बताया गया था, वह दरअसल पैरासिटामोल की साधारण गोलियों से जुड़ा निकला।
दिसंबर 2021 में चेन्नई पुलिस ने इलावरासन और उसके भाई थेन्नारासु को 1,200 नाइट्रावेट टैबलेट्स (नींद की दवा) रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने दावा किया था कि आरोपी इनका नशे के तौर पर इस्तेमाल और अवैध बिक्री कर रहे थे।
लेकिन अदालत में जब सीलबंद पैकेट खोले गए तो सामने आया कि उनमे नाइट्रावेट नहीं बल्कि सरकारी मान्यता प्राप्त दुकानों से खरीदी गई पैरासिटामोल की पट्टियाँ थीं।
पुलिस की लापरवाही या मिलीभगत?
- जब्ती की प्रक्रिया में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं था।
- कांस्टेबल ने माना कि उसने न तो गोलियों को सील होते देखा, न ही यह पहचान सका कि वे कौन-सी दवा थीं।
- सब-इंस्पेक्टर ने अदालत में स्वीकार किया कि उसने सीलबंद पट्टियों की सामग्री की कभी पुष्टि ही नहीं की।
- गुप्त सूचना ज्ञापन पर आवश्यक अनुमोदन भी नहीं था।
- ज़ब्ती मेमो पर अभियुक्त के हस्ताक्षर नहीं लिए गए।
फोरेंसिक रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में
सिर्फ दो नमूनों की जांच हुई और उन्हें नाइट्रावेट बताया गया, जबकि 1,000 से अधिक गोलियों की कोई ठोस पुष्टि नहीं हो सकी।
अदालत की टिप्पणी
न्यायाधीश गोविंदराजन ने कहा कि “प्रत्येक स्तर पर प्रक्रियागत खामियाँ हैं और अभियोजन पक्ष यह सिद्ध नहीं कर सका कि आरोपी किसी नशीले पदार्थ के कब्ज़े में थे।”
अदालत ने दोनों भाइयों को बरी कर दिया।
बड़े सवाल
- क्या पुलिस ने जानबूझकर झूठा केस बनाया?
- फोरेंसिक जांच में विसंगति क्यों रही?
- तीन साल तक निर्दोषों को कानूनी लड़ाई में फँसाए रखने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
यह मामला सिर्फ एक परिवार की मुसीबत नहीं, बल्कि पुलिस और अभियोजन की विश्वसनीयता पर करारा सवाल है।