डिलीवरी के दौरान महिला की मौत पर हंगामा, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
देवभूमि हॉस्पिटल में भोगपुर की 22 वर्षीय महिला की मौत, डीएम ने जांच के आदेश दिए
हरिद्वार, हरिद्वार के ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र स्थित देवभूमि हॉस्पिटल में शुक्रवार देर रात उस वक्त हड़कंप मच गया, जब प्रसव के दौरान एक 22 वर्षीय गर्भवती महिला की मौत हो गई। मौत की खबर सुनते ही परिजन बेकाबू हो गए और अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा और नारेबाजी की। परिजनों ने डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की।
मृतका की पहचान भोगपुर निवासी एक 22 वर्षीय महिला के रूप में हुई है। परिजनों के अनुसार, महिला को शुक्रवार शाम प्रसव पीड़ा शुरू होने पर देवभूमि हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। रात करीब 11 बजे के आसपास अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। बताया जा रहा है कि इसी दौरान उसकी डिलीवरी हुई और कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई।
मौत की सूचना मिलते ही अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन ने मरीज की हालत के बारे में सही जानकारी नहीं दी और दूसरे अस्पताल रेफर करने में जानबूझकर देरी की। उनका कहना है कि अगर समय रहते सही कदम उठाया जाता तो महिला की जान बचाई जा सकती थी।
परिजन विनोद ने भावुक होते हुए कहा —
“डॉक्टरों ने हमें भरोसे में रखा कि सब ठीक है। लेकिन जब तक हमें असलियत पता चली, तब तक हमारी बहू की जान जा चुकी थी। यह साफ-साफ लापरवाही है। हम चाहते हैं कि इस अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।”
वहीं, अस्पताल प्रबंधक सुशील कुमार ने सभी आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि महिला की स्थिति पहले से ही गंभीर थी और डॉक्टरों ने पूरी मेहनत की।
“मरीज की स्थिति भर्ती के समय ही गंभीर थी। हमारी टीम ने हर जरूरी चिकित्सा प्रक्रिया अपनाई, लेकिन मरीज की हालत संभल नहीं पाई,” — सुशील कुमार, प्रबंधक, देवभूमि हॉस्पिटल।
घटना की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) के निर्देश पर जांच समिति गठित करने के आदेश दिए हैं।
डीएम मयूर दीक्षित ने कहा —
“इस घटना की पूरी जांच कराई जा रही है। अगर किसी भी स्तर पर लापरवाही सामने आती है, तो अस्पताल प्रबंधन और संबंधित चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
सूत्रों के अनुसार, प्रशासन ने मृतका का पोस्टमार्टम कराने के आदेश दिए हैं ताकि मौत के वास्तविक कारणों का पता चल सके। फिलहाल अस्पताल परिसर में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके।
इस घटना के बाद इलाके में निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। लोगों का कहना है कि छोटे निजी अस्पतालों में अक्सर अनुभवहीन स्टाफ और सीमित संसाधनों के बावजूद गंभीर मामलों को हैंडल किया जाता है, जिससे कई बार जानें चली जाती हैं।
फिलहाल, प्रशासनिक जांच की रिपोर्ट आने का इंतजार है, लेकिन इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या निजी अस्पतालों में जनसाधारण की जिंदगी अब भी सुरक्षित है?



