देशभर में नकली दवाओं का गोरखधंधा  बेनक़ाब  गोदाम मे छापा  99.47 लाख का माल जप्त

देश भर मे नकली दवाइयों का बड़ा खुल्लासा

देशभर में नकली दवाओं का गोरखधंधा  बेनक़ाब  गोदाम मे छापा  99.47 लाख का माल जप्त

आगरा से पुदुचेरी तक फैला करोड़ों का अवैध कारोबार, बड़ी कंपनियों के नाम का फर्जी इस्तेमाल

नई दिल्ली/आगरा/पुदुचेरी।   देशभर में लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने वाला नकली दवाओं का गोरखधंधा तेजी से फैलता जा रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के आगरा में हुई बड़ी कार्रवाई और अब पुदुचेरी में ज़ब्त हुए करोड़ों के नकली दवा स्टॉक ने दवा उद्योग में मचे हड़कंप को और गहरा कर दिया है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और पुदुचेरी दवा नियंत्रण विभाग की संयुक्त टीम ने मेट्टुपालयम के एक गोदाम पर छापा मारकर लगभग ₹99.47 लाख की कैप्सूल, टैबलेट्स और पैकिंग सामग्री जब्त की। यह कार्रवाई उसी कड़ी का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत आगरा में पिछले महीने नकली दवाओं की बरामदगी से हुई थी।

आगरा से शुरू हुआ सुराग

आगरा पुलिस और दवा विभाग ने बीते महीने एक फार्मास्यूटिकल एजेंसी के मालिक को गिरफ्तार किया था। आरोपी पर आरोप था कि वह भारी मात्रा में नकली और घटिया गुणवत्ता वाली दवाओं का भंडारण और बिक्री कर रहा था।

पूछताछ के दौरान आरोपी ने खुलासा किया कि उसका नेटवर्क सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था। उसने अधिकारियों को बताया कि वह दवाएं पुदुचेरी स्थित ‘मीनाक्षी फार्मा’ नामक फर्म से मंगवाता था। इसी खुलासे ने जांच एजेंसियों को पुदुचेरी की ओर रुख करने पर मजबूर कर दिया।

पुदुचेरी में छापा और बड़ा खुलासा

सूत्रों के अनुसार, जब अधिकारियों ने ‘मीनाक्षी फार्मा’ की जांच की, तो पता चला कि यह कंपनी कई साल पहले बंद हो चुकी थी।

इसके बाद CDSCO के चेन्नई कार्यालय से तीन सदस्यीय टीम पुदुचेरी भेजी गई। स्थानीय दवा विभाग की मदद से मेट्टुपालयम इंडस्ट्रियल एस्टेट स्थित गोदाम में छापा मारा गया।

छापे में जो खुलासा हुआ, उसने जांच एजेंसियों के होश उड़ा दिए—

गोदाम में लाखों की खाली कैप्सूल, टैबलेट्स और दवा पैकेजिंग सामग्री पड़ी थी।

बरामद कैप्सूल ‘नेचुरल कैप्सूल प्राइवेट लिमिटेड’ (पुदुचेरी) के नाम पर बेचे जा रहे थे।

पैकेजिंग पर ‘नेब्यूली फार्मास्यूटिकल्स’ (चेन्नई) का नाम छपा था।

टैबलेट्स और एल्यूमिनियम फॉयल/कार्टन बॉक्स पर ‘फैब्युलस लाइफ साइंसेज़’ (विलुपुरम) का नाम था।

लेकिन जांच में यह भी सामने आया कि ये तीनों कंपनियां भी लंबे समय से बंद पड़ी थीं।

गोदाम सील, केस दर्ज

अधिकारियों ने बताया कि मेट्टुपालयम स्थित गोदाम को सील कर दिया गया है और बरामद सामग्री अदालत में पेश कर दी गई है। साथ ही गोदाम मालिक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया—

> “हमने जब्त सामग्री अदालत में जमा कर दी है और पुलिस में केस दर्ज किया गया है। आगे और खुलासे होने की संभावना है। जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है।”

देशभर में फैला नेटवर्क

आगरा और पुदुचेरी की कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि नकली दवाओं का यह नेटवर्क उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक फैला हुआ है।
अधिकारियों को शक है कि यह गोरखधंधा कई और राज्यों तक फैला हो सकता है।

सूत्रों का कहना है कि जब्त दवाएं कई शहरों में सप्लाई की जा रही थीं। इसमें जीवन रक्षक दवाओं से लेकर सामान्य उपयोग की टैबलेट्स तक शामिल हो सकती हैं। यदि ये दवाएं बाज़ार में पहुंच जातीं, तो हज़ारों लोगों की सेहत और जान को गंभीर खतरा हो सकता था।

जनता की जान से खिलवाड़

नकली दवाओं का यह कारोबार सिर्फ अवैध कमाई का ज़रिया नहीं, बल्कि जनता की ज़िंदगी से खुला खिलवाड़ है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की नकली दवाएं—

इलाज में असरदार नहीं होतीं।

मरीज की हालत बिगाड़ सकती हैं।

कई बार यह जानलेवा भी साबित होती हैं।

चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों ने इस घटना को गंभीर चिंता का विषय बताते हुए कहा है कि नकली दवा माफिया पर सख़्त से सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए।

नकली दवा उद्योग: क्यों मुश्किल है रोकना?

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक देश है। यहां से दवाओं का निर्यात भी बड़े पैमाने पर होता है। लेकिन इसी वजह से नकली दवा कारोबारियों को भी छुपने और काम करने का मौका मिल जाता है।

बड़ी कंपनियों के नाम का फर्जी इस्तेमाल: माफिया बंद पड़ी या प्रसिद्ध कंपनियों का नाम पैकिंग पर छाप देते हैं।

ढीली निगरानी: दवा भंडारण और वितरण पर पर्याप्त निगरानी नहीं होती।

बड़ी मांग: भारत में दवाओं की खपत बड़ी होने से बाजार में खामियों का फायदा उठाया जाता है।

 

सरकार और एजेंसियों की चुनौती

आगरा और पुदुचेरी की कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि नकली दवाओं का यह नेटवर्क व्यवस्थित और संगठित तरीके से काम कर रहा है।
सरकार और जांच एजेंसियों के सामने अब कई बड़ी चुनौतियां हैं—

1. इस नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचना।

2. अन्य राज्यों में फैले गिरोह का पर्दाफाश करना।

3. दवाओं की सप्लाई चेन की निगरानी को मज़बूत करना।

4. जनता को जागरूक करना ताकि वे बिना पुख्ता जानकारी वाली दवा न खरीदें।

 

कड़ी कार्रवाई की मांग

सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध है।
इनका कहना है कि दोषियों पर सिर्फ केस दर्ज करना काफी नहीं है, बल्कि ऐसे अपराधियों को सख्त से सख्त सज़ा दी जानी चाहिए ताकि दूसरों के लिए नज़ीर बने।

आगरा से पुदुचेरी तक फैले इस नकली दवा नेटवर्क ने एक बार फिर से स्वास्थ्य व्यवस्था की कमज़ोरियों को उजागर कर दिया है।
यह मामला केवल ₹99.47 लाख की ज़ब्ती या कुछ गिरफ्तारियों का नहीं है, बल्कि करोड़ों लोगों की सेहत और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।

जांच एजेंसियों ने भले ही अभी कुछ सफलता हासिल की हो, लेकिन असली चुनौती इस संगठित माफिया नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की है। जब तक यह गोरखधंधा पूरी तरह से खत्म नहीं होता, तब तक देश की आम जनता की ज़िंदगी दांव पर लगी रहेगी।

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