Cocrystals को लेकर CDSCO ने जारी की गाइडलाइन, अब तय होगा रेगुलेटरी रास्ता

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Cocrystals को लेकर CDSCO ने जारी की गाइडलाइन, अब तय होगा रेगुलेटरी रास्ता

नई दिल्ली,  भारत के औषधि नियामक निकाय सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने पहली बार Cocrystals के रेगुलेटरी मार्ग को लेकर विस्तृत स्पष्टीकरण जारी किया है। यह कदम फार्मा इंडस्ट्री और शोधकर्ताओं के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि Cocrystals दवाओं की बायोएवलेबिलिटी, स्थिरता (stability) और प्रोसेसिंग क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सीडीएससीओ की ओर से जारी सर्कुलर (F. No. SND-16011(11)/66/2025-eoffice) में कहा गया है कि फार्मास्युटिकल Cocrystals को अब नई दवा (New Drug) की श्रेणी में माना जाएगा और इनके लिए वही नियम लागू होंगे जो New Drugs and Clinical Trials Rules, 2019 के तहत निर्धारित हैं।

Cocrystals क्या हैं?

सर्कुलर के अनुसार, Cocrystals वे क्रिस्टलाइन मटेरियल हैं जो Active Pharmaceutical Ingredient (API) और एक या एक से अधिक Co-formers के संयोजन से एक निश्चित अनुपात (stoichiometric ratio) में बनते हैं। ये non-ionic और non-covalent bonds से जुड़े रहते हैं।

  • Cocrystals का उपयोग तब विशेष रूप से अहम होता है जब API में ionizable functional groups नहीं होते, यानी salt बनाने की क्षमता नहीं होती।
  • यह दवाओं के solid state engineering का नया तरीका है, जो पारंपरिक salts और polymorphs से आगे की श्रेणी मानी जा रही है।

अनुमोदन के लिए शर्तें

CDSCO ने स्पष्ट किया है कि किसी भी Cocrystal आधारित नई दवा के लिए निम्न बिंदुओं का पालन करना आवश्यक होगा:

  • भौतिक एवं रासायनिक (in vitro) या फार्माकोकिनेटिक (in vivo) परीक्षण में यह साबित करना होगा कि Cocrystal का प्रदर्शन उसके physical mixture की तुलना में बेहतर है।
  • XRD (Single crystal/ Powder), Electron Diffraction, IR, Raman, NMR आदि आधुनिक विश्लेषणात्मक तकनीकों से उसकी संरचना और गुणों की पुष्टि करनी होगी।
  • पहले से स्वीकृत API पर आधारित Cocrystal के लिए निर्माण प्रक्रिया का वैलिडेशन, स्थिरता अध्ययन, BA/BE (Bioavailability/Bioequivalence) अध्ययन और ज़रूरत पड़ने पर अतिरिक्त pre-clinical/clinical trials कराने होंगे।

CDSCO का बड़ा निर्णय

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी) ने कहा है कि—
“Cocrystals of already approved active substances will be processed as new drugs. Applicants should apply under New Drugs and Clinical Trials Rules, 2019.”

फार्मा इंडस्ट्री पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि CDSCO का यह कदम Indian Pharma Sector को नई दिशा देगा।

  • कंपनियां अब innovative formulations ला पाएंगी।
  • कई APIs जिनमें salt formation की सीमा है, उनके लिए अब Cocrystals एक विकल्प होंगे।
  • इससे export competitiveness भी बढ़ने की संभावना है, क्योंकि अमेरिका और यूरोप जैसे रेगुलेटरी बाजार पहले ही Cocrystals पर काम कर रहे हैं।

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